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पीएमएलए के तहत ईडी के गिरफ्तारी सहित सभी अधिकार सही : सुप्रीम कोर्ट

Vir Singh • LAST UPDATED : July 27, 2022, 12:30 pm IST

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) पर आज बड़ा फैसला सुनाया। इसके अनुसार प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के पीएमएलए के तहत गिरफ्तारी, छापेमारी व समन सहित सभी अधिकार उचित हैं। दरअसल
प्रिवेंशन आफ मनी लान्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के विभिन्न प्रावधानों के चुनौती दी गई थी और सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए के विभिन्न प्रावधानों की वैधता को बरकरार रखते हुए सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है।

कानून में किए संशोधन सही, ECIR को FIR से नहीं जोड़ सकते

ईडी की तरफ से दर्ज मामलों में फंसे लोगों के लिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला बड़ा झटका है। शीर्ष अदालत ने कोर्ट ने कहा है कि चार वर्ष पहले 2018 में कानून में किए गए संशोधन सही हैं। अदालत ने कहा कि प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) को एफआईआर के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है और ईसीआईआर ईडी का एक आंतरिक दस्तावेज है।अदालत ने यह भी कहा कि आरोपी को ईसीआईआर की कॉपी देना जरूरी नहीं है। गिरफ्तारी के दौरान कारणों का खुलासा करना ही काफी है। ईडी के सामने दिया बयान ही सबूत है।

100 से ज्यादा याचिकाएं दायर कर दी गई थी चुनौती

पीएमएलए के कई प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में 100 से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई थीं। इसमें ईडी की पावर, गवाहों को समन व संपत्ति जब्त करने के तरीके, गिरफ्तारी के अधिकार और जमानत प्रक्रिया को चुनौती शामिल थी। एनसीपी नेता अनिल देशमुख, कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम, महबूबा मुफ्ती व अन्य की ओर से याचिकाएं दायर की गई थीं।

याचिकाओं में कई प्रावधानों को असैंवधानिक बताया है

याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि पीएमएलए के कई प्रावधान असैंवधानिक हैं। इसकी वजह उन्होंने संज्ञेय अपराध के ट्रायल व उसकी जांच के बारे में दी गई प्रक्रिया का पालन न करना बताया है। इसी के साथ याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि इस अधिनियम के तहत जमानत, गिरफ्तारी और संपत्ति की जब्ती का अधिकार सीआरपीसी के दायरे से बाहर हैं। याचिकाओं में यह भी कहा गया है कि जांच एजेंसी को जांच के दौरान सीआरपीसी का पालन करने के लिए बाध्य होना चाहिए। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी सहित कई वकीलों ने इस मामले में अपना पक्ष रखा था।

17 वर्ष पहले लागू हुआ था कानून, अब तक केवल 23 दोषी करार

केंद्र सरकार की तरफ से लोकसभा में एक सवाल के जवाब में बताया गया कि पीएमएलए 17 साल पहले लागू हुआ था और तब से इसके तहत 5,422 केस दर्ज किए गए हैं। लेकिन दोषी अब तक केवल 23 लोगों को ही ठहराया गया है। ईडी ने 31 मार्च तक एक लाख करोड़ से ज्यादा की संपत्ति अटैच की है और 992 केस में चार्जशीट दायर की है।

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