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'रॉकेट्री द नांबी इफेक्ट' फिल्म का बॉक्स ऑफिस पर चला जादू, हासिल की यह उपलब्धि

Prachi • LAST UPDATED : July 14, 2022, 1:12 pm IST

इंडिया न्यूज़, Bollywood News (Mumbai):
बॉलीवुड एक्टर आर माधवन की फिल्म ‘रॉकेट्री: द नांबी इफेक्ट’ की इन दिनों काफी सुर्खियां बटोर रही है। बता दें कि इस फिल्म को दर्शकों का अच्छा खासा रिस्पॉन्स मिल रहा है। अभी कुछ दिनों पहले ही फिल्म रिलीज हुई है। आपको बता दें कि ‘रॉकेट्री द नांबी इफेक्ट’ हमारे देश के एक ऐसे साइंटिस्ट नांबी नारायण की कहानी है, जिसने देश को लिक्विड फ्यूल रॉकेट टेक्नॉलोजी का वरदान दिया है।

‘रॉकेट्री द नांबी इफेक्ट’ बॉक्स ऑफिस कलेक्शन

Rocketry The Nambi Effect
Rocketry The Nambi Effect

आपको बता दें कि आर माधवन की इस फिल्म के हिंदी वर्जन ने 13 दिनों में 27 करोड़ रुपये कमाए हैं। इसके साथ ही फिल्म को आईएमडीबी पर 9.3 की जबरदस्त रेटिंग भी मिली है। माधवन का डायरेक्शनल डेब्यू बताते चलें कि इस फिल्म से माधवन ने अपना डायरेक्शनल डेब्यू किया है। फिल्म एक जुलाई को कई भाषाओं में रिलीज हुई थी। खबर के मुताबिक, हिंदी बेल्ट में ही फिल्म ने 27 करोड़ कमा लिए। उम्मीद जताई जा रही है कि फिल्म वीकेंड पर अच्छा-खासा बिजनेस करेगी।

यह है फिल्म की कहानी

आपको बता दें कि इसरो के पूर्व वैज्ञानिक और एयरोस्पेस नांबी नारायण की लाइफ पर बेस्ड फिल्म की कहानी फ्लैशबैक में चलती है। यहां मुख्य किरदार नांबी नारायण एक चैनल पर इंटरव्यू के दौरान सुपरस्टार शाहरुख खान को अपनी पूरी कहानी सुनाते हुए दिख रहे हैं। 4-5 सालों से जी रहे नांबी का दर्द फिल्म में साफ तौर पर दिखाया गया है कि कैसे नांबी नारायण पर जासूसी और देशद्रोह के झूठे आरोप लगाए गए। साथ ही उनके द्वारा झेले गए दर्द को भी दिखाया गया है। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि आर माधवन एक तरह से नांबी नारायण का दर्द बीते 4-5 सालों से जी रहे हैं।

अब्दुल कलाम ने भी किया साथ काम फिल्म की कहानी शुरू होती है नांबी नारायण की जवानी से। विक्रम साराभाई एक प्रतिभाशाली वैज्ञानिक के हुनर को पहचानते हैं। इस बीच ए पी जे अब्दुल कलाम को भी साथ काम करते देखा जा सकता है। नांबी दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शिक्षण संस्थानों में पढ़ने जाते हैं।

नासा में नौकरी भी पा लेते हैं। लेकिन इसके बाद नासा से कहीं कम वेतन देने वाले इसरो में लौट आते हैं। नांबी उपग्रहों में ले जाने वाला रॉकेट विकसित कर रहे हैं। वे इसमें कामयाब भी हो जाते हैं। वीआई एएस नाम के इस रॉकेट की टेस्टिंग भी सफल होती है। ये रॉकेट ही आज तक इसरो में भेजे जाने वाले उपग्रहों को अंतरिक्ष में ले जा रहा है। अब इंटरव्यू के बहाने ये पूरी फिल्म आगे बढ़ती है।

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