इंडिया न्यूज, Patna News। Monkeypox In Bihar : विदेशों की तरह ही भारत में भी अब मंकीपाक्स पैर पसारने लगा है। देश में केरल और दिल्ली में मंकीपाक्स के मरीज मिल चुके हैं। वहीं आज बिहार में भी मंकीपाक्स का पहला संदिग्ध मरीज मिला है।
बता दें कि पटना सिटी गुड़हट्टा इलाके की एक महिला मंकीपाक्स की संदिग्ध मरीज मिली है। पटना मेडिकल कालेज एवं अस्पताल के माइक्रो वायरोलाजी विभाग की टीम ने उसका जांच सैंपल लिया है। यह जांच सैंपल पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलोजी या चेन्नई के एपेक्स लैब में भेजा जाएगा।
महिला की ट्रैवल हिस्ट्री का पता नहीं चल सका है। उसके संपर्क में आए लोगों के जांच सैंपल लेने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने 4 सदस्यीय टीम को गठित कर दिया है। फिलहाल उसे होम आइसोलेशन में रखा गया है। जरूरत पड़ने पर उसे अस्पताल में शिफ्ट किया जाएगा।
वहीं महिला के मंकीपाक्स से संक्रमित होने की सूचना मिलते ही स्वास्थ विभाग और अधिक सतर्क हो गया है। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि बिहार में स्वास्थ्य विभाग ने इस संक्रमण को लेकर गाइडलाइन जारी कर दी है।
बता दें कि मंकीपाक्स को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया हुआ है। मंकीपाक्स एक वायरस है, जो संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है। संक्रमित व्यक्ति में चेहरे, हथेलियों, पैरों, पीठ व पैर के तलवे में चकत्ते बन जाते हैं।
मंकीपाक्स वायरस चेचक की तरह का एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है। इसका पहला मामला साल 1970 में सामने आया था। यह संक्रमण मुख्य रूप से मध्य व पश्चिम अफ्रीका के में होता रहा है। हालांकि, इस साल यह भारत के 4 राज्यों में दस्तक दे चुका है।
गोपालगंज के डा. संदीप कुमार ने बताया कि अगर आपको बुखार के साथ सिरदर्द व कमजोरी हो तो डाक्टर की सलाह जरूर लें। ये मंकीपाक्स के शुरूआती लक्षण हो सकते हैं। हालांकि, समान्य वायरल फीवर व अन्य बीमारियों में भी ऐसा हो सकता है, इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है।
वहीं उन्होंने बताया कि मंकीपाक्स के लक्षण चेहरे पर दिखते हैं। संक्रमण 14 से 21 दिनों तक रहता है। एक संक्रमित व्यक्ति में आपको इस तरह के लक्षण दिखाई देंगे…
विशेषज्ञों का कहना है कि अभी तक मंकीपाक्स संक्रमण का कोई इलाज नहीं है लेकिन चेचक का टीका मंकीपाक्स का संक्रमण रोकने में 85 प्रतिशत तक प्रभावी साबित हुआ है। वैसे राहत की बात यह है कि ब्रिटेन की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी ने इसे कम जोखिम वाला वायरस बताया है।
यह एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। मंकीपाक्स वायरस त्वचा, आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकता है। यह संक्रमित जानवर के काटने या उसके खून, शरीर के तरल पदार्थ व फर को छूने से भी हो सकता है। मंकीपाक्स से बचाव ही एकमात्र उपाय है।
ये भी पढ़े : पीएम मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति बनने पर रानिल विक्रमसिंघे को दी बधाई, कहा-हर मौके पर मदद को तैयार
ये भी पढ़े : SC ने केंद्र को दिए चुनाव के दौरान मुफ्त योजनाओं के उपहार बांटने पर रोक लगाने के निर्देश
ये भी पढ़े : सोनिया से पूछताछ के विरोध में प्रदर्शन में शामिल राहुल गांधी को हिरासत में लिया
ये भी पढ़े : पंजाब के गैंगस्टरों के लिए कनाडा बना सुरक्षित पनाहगाह
हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे !
Get Current Updates on News India, India News, News India sports, News India Health along with News India Entertainment, India Lok Sabha Election and Headlines from India and around the world.