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पंजाब के गैंगस्टरों के लिए कनाडा बना सुरक्षित पनाहगाह

Vir Singh • LAST UPDATED : July 26, 2022, 12:32 pm IST
  • सात कुख्यात गैंगस्टरों में से 5 आपराधिक मामलों की ‘ए’ केटेगरी में शामिल, पंजाब पुलिस को है तलाश

इंडिया न्यूज, चंडीगढ़:
पंजाब के गैंगस्टरों के लिए कनाडा सुरक्षित पनाहगाह बन गया है। सात कुख्यात गैंगस्टर हैं जो कई वर्षों से बिना किसी भय के कनाडा में छिपे हैं। इन गैंगस्टरों में से पांच आपराधिक मामलों की ‘ए’ केटेगरी में शामिल हैं और पंजाब पुलिस को इनकी हत्या, लूट, जबरन वसूली और अपहरण के मामलों में तलाश है। ये गैंगस्टर कथित तौर पर कट्टरपंथी संगठनों के साथ काम कर रहे हैं, जो पंजाब में आतंकी आपरेशन व हत्या की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। इसके अलावा वे जबरन वसूली भी कर रहे हैं।

पुलिस ने हाल में हुई तीन वारदातों में किया नामित

पुलिस ने उन्हें तीन हाल के महीनों में हुई तीन वारदातों में आरोपी के रूप में नामित किया है। 9 मई को मोहाली में खुफिया मुख्यालय पर हमला, 29 मई को सिद्धू मूसेवाला की हत्या और 14 जुलाई को कनाडा के सरे में रिपुदमन सिंह मलिक की हत्या। सात में ए-लिस्टिंग में लखबीर सिंह उर्फ लांडा है, जो खुफिया मुख्यालय पर हमले में वांछित हैं। मूसेवाला हत्याकांड में वांछित गोल्डी बराड़, चरणजीत सिंह उर्फ रिंकू रंधावा, अर्शदीप सिंह उर्फ अर्श डाला और रमनदीप सिंह उर्फ रमन जज हैं। अन्य अन्य दो गैंगस्टर गुरपिंदर सिंह उर्फ बाबा दल्ला और सुखदुल सिंह उर्फ सुखा दुनेके हैं।

छोटे अपराधी से शुरुआत करके बने कट्टरपंथी गैंगस्टर, होगा प्रत्यर्पण

पुलिस के डोजियर में कहा गया है कि सभी सातों ने छोटे अपराधियों के रूप में शुरुआत की और समय के साथ कट्टरपंथी गैंगस्टर बन गए। भारत सरकार ने उनमें से चार के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया है, जबकि अन्य के लिए प्रक्रिया जारी है। कनाडा के अधिकारियों द्वारा आरोपियों के अपने देश में होने की पुष्टि करने के बाद प्रत्यर्पण की कार्यवाही शुरू हो जाएगी। एक देश सुरक्षा एजेंसियों, हवाई अड्डों और अन्य परिवहन अधिकारियों को किसी मामले में ‘वांछित व्यक्ति की तलाश’ करने के लिए एक लुकआउट सर्कुलर जारी करता है।

इसलिए जरूरी है रेड कॉर्नर नोटिस

देश के अनुरोध पर इंटरपोल द्वारा जारी एक रेड कॉर्नर नोटिस, दुनिया भर में पता लगाने और लंबित प्रत्यर्पण के लिए एक व्यक्ति को अस्थायी रूप से गिरफ्तार करने के लिए जरूरी है। प्रत्यर्पण कार्यवाही शुरू करने के लिए भी यह आवश्यक है। रेड कॉर्नर नोटिस जारी होने के बाद, पुलिस अपने देश में आरोपियों की पहचान और ठिकाने की पुष्टि करती है। एक बार यह स्थापित हो जाने के बाद, प्रत्यर्पण की कार्यवाही शुरू हो जाती है। हालाँकि, प्रक्रिया धीमी है और नौकरशाही तकरार और विवादों में फंस जाती है।

रेड कॉर्नर नोटिस को लेकर हो चुकी है पंजाब पुलिस व केंद्र के बीच नोंकझोंक

हाल ही में मूसेवाला की हत्या की जिम्मेदारी लेने वाले गोल्डी बराड़ के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस को लेकर पंजाब पुलिस और गृह मंत्रालय के बीच नोकझोंक हुई। पंजाब पुलिस ने दावा किया कि गैंगस्टरों के खिलाफ आरसीएन जारी करने पर केंद्र तेजी से प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है। इसने कहा कि गोल्डी बरार के संबंध में एक अनुरोध दो बार भेजा गया था – पहला नवंबर 2021 में और फिर इस साल 19 मई को मूसेवाला की हत्या से 10 दिन पहले। हालांकि, सीबीआई ने दावा किया कि हत्या के एक दिन बाद 30 मई को अनुरोध प्राप्त हुआ था।

प्रत्यर्पण में कनाडा सरकार नहीं करती सहयोग

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जब प्रत्यर्पण कार्यवाही की बात आती है तो कनाडा सरकार सहयोग नहीं करती है। जस्सी आॅनर किलिंग इसी का एक उदाहरण है। कनाडा ने अपराध के 18 साल बाद दो आरोपियों को प्रत्यर्पित किया अधिकारियों को उम्मीद है कि अब स्थिति बदल सकती है।

हाल ही में, कनाडा सरकार लक्षित हत्याओं, नशीली दवाओं की तस्करी और गैंग्वार्स का सामना कर रही पुलिस को इन घटनाओं में सात गैंगस्टर और कट्टरपंथी शामिल होने का संदेह है। कनाडा को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। रिपुदमन सिंह मलिक की हत्या में नेता हरदीप निज्जर और गैंगस्टर अर्शदीप डाला की भूमिका संदिग्ध है। कनाडा की पुलिस ने पिछले साल अपने सबसे बड़े ड्रग-विरोधी अभियान में 20 से अधिक पंजाबी मूल के ड्रग तस्करों-सह-गैंगस्टरों को गिरफ्तार किया था।

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