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बरसात में बुखार, कफ, कोल्ड से बचाएगा गिलोय

Suman Tiwari • LAST UPDATED : June 25, 2022, 12:33 pm IST

इंडिया न्यूज (Giloy Benefits in Rainy Season):
गिलोय को संस्कृत में गुरुचि या अमृता कहा गया है। गुरुचि के ढेरों फायदे की वजह से ही आयुर्वेद में इसका अलग स्थान है। इसको सही मात्रा में लिया जाए। तो यह वायु, पित्त और कफ तीनों तरह के दोषों को खत्म करता है इसलिए त्रिदोष शामक औषिध (तीनों दोषों को नाश करने वाला) भी कहा गया है। गिलोय को अमृता यानी अमृत के समान माना गया है। क्योंकि यह व्यक्ति को मरने नहीं देता। उसे बीमारियों से बचाता है।

गिलोय को चक्रिका के नाम से भी जाना जाता

बाजार से सूखी या हरी गिलोय खरीदना चाहते हैं, तो उसके डंठल को तोड़ें। उसमें चक्र की तरह नजर जाएगा। इस तरह का गिलोय अच्छा माना जाता है। गिलोय में मौजूद इस चक्र की वजह से इसे चक्रिका के नाम से भी जाना जाता है। कोरोना संक्रमण के बाद लगभग हर किसी के घर में इसका पौधा नजर आता है। यह किसी के बगीचे में किसी पौधे के ऊपर फैला होता है, तो किसी के घर की दीवार के सहारे फैल गया होता है। सबसे अच्छा गिलोय उसे माना जाता है, जो नीम के पेड़ के ऊपर फैला होता है। इस गिलोय की बेल के गुण दूसरों की तुलना में अधिक होते हैं। गिलोय का एक छोटा-सा टुकड़ा भी पौधे के लिए लगाया जाए, तो आसानी से पनप जाता है। इसके पौधे आसानी से नहीं मरते हैं इसलिए कहा जाता है कि गिलोय न खुद मरती है न किसी को मरने देती है।

गिलोय के गुण: यह कड़वे रस वाली होती है। इसकी तासीर गर्म होती है इसलिए आहार को आसानी से पचाती है और भूख को भी बढ़ाती है। शरीर में मौजूद द्रव जैसे यूरिन, वीर्य, ब्लड के रोगों को कम करने का काम करती है। इसी गिलोय के स्टार्च से तैयार पाउडर को गुरवेल सत्त कहते हैं।

गिलोय इस तरह से फायदा पहुंचाएगा: वायु के रोग में इसे गाय के घी के साथ लेने से फायदा पहुंचता है। पित्त संबंधी रोग में गिलोय को मिश्री के साथ लेना चाहिए। कफ के रोगों में शहद के साथ लेना सबसे बेहतर माना गया है। बारिश का मौसम आते ही बुखार, कफ की तकलीफ बढ़ जाती है। इस स्थिति में गिलोय को लौंग के साथ देने से फायदा पहुंचेगा।

किसी व्यक्ति को काफी दिनों से हल्का बुखार आता हो। यह बुखार देर तक रहता हो, तो ऐसी स्थिति के अंदर गिलोय को गाय के घी के अंदर पकाएं और इस घी को खाने दें। इससे व्यक्ति को आराम मिलेगा। इसके लिए सूखी गिलोय न लें। हरी गिलोय के रस को गाय के घी के अंदर पकाएं। यह घी किसी भी तरह के बुखार में आराम देगा।

किस तरह से पीना चाहिए: जब बुखार चढ़ना शुरू हो, तो गिलोय के पाउडर को पानी में भिगो दें। इसे उबाल लें और छानकर दें। इससे किसी भी तरह का बुखार आसानी से उतर जाएगा। बुखार के बाद भी शरीर के अंदर कमजोरी हो गई हो, तो गिलोय के सत्त को, दूध में मिला लें। इसमें मिश्री डाल दें और पीने को दें। एक बात का खास ख्याल रखें कि बुखार होने पर दूध नहीं दें। इस दूध को बुखार खत्म होने के बाद ही देना चाहिए।

गिलोय का हिम कैसे तैयार करें: गिलोय के छोटे-छोटे टुकड़े लें। इसे अच्छी तरह से कूट लें। इसे 40 ग्राम पानी में रात को भिगोकर रख दें। सुबह उठने के बाद इसे मसलकर छान लें। इस पानी गिलोय का हिम कहलाता है। यह कई तरह के बुखार में लाभ देता है। यह कॉमन कोल्ड से लेकर कोरोना तक की बीमारी के अंदर लाभ देता है। गिलोय का हिम नहीं बना सकते हैं, तो बाजार में मिल रहे पाउडर को इस्तेमाल में लाएं।

इन तकलीफों को करता है दूर

  • गिलोय में ब्लड को शुद्ध करने की क्षमता है। ब्लड में किसी तरह का विकार की वजह से होने वाली बीमारियों में गिलोय सबसे अच्छी दवा मानी जाती है। यह रक्त को साफ करती है और खून को बढ़ाती है। रक्त में मौजूद गंदगी की वजह से कील-मुंहासे नहीं खत्म हो रहे हो, तो गिलोय को लेने से दूर हो जाएंगे।
  • यह एग्जिमा जैसी बीमारी को भी खत्म करने का काम करता है। आचार्य चरक ने गिलोय को त्वचा के किसी भी रोग के अंदर लेने को फायदेमंद बताया है। जब हाथ-पैर में जलन होती है। यूरिन में जलन होती है, आखों में जलन महसूस होने पर इससे पानी बहता हो, तो गुरुचि के पाउडर को मिश्री के साथ देने से फायदा पहुंचता है।
  • टीबी की बीमारी के बाद कमजोरी आने पर गिलोय लेने से अच्छा असर करता है। डायबिटीज बढ़ने पर यूरिन में अधिक शूगर आने लगता है, तो गिलोय लेने से लाभ होता है। इसमें नीम के ऊपर लगी हुई गिलोय को लेने का सबसे अच्छा रिजल्ट नजर आता है। डेंगू के बुखार में गिलोय को पपीता के पत्तों के साथ लेने से जल्दी से कम होने की संभावना होती है।
  • कोरोना के केस में गिलोय के पाउडर को रात में भिगोकर और सुबह इसे छानकर देने से आराम मिलता है। इससे इम्यूनिटी भी बूस्ट होती है। गिलोय को लेने से टॉक्सिन्स बाहर निकालता है। यह बैक्टीरिया और वायरस से होने वाले इंफेक्शन को भी बचाता है। महिलाओं को होने वाली स्किन एलर्जी में यह विशेष फायदा पहुंचाता है।

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