इंडिया न्यूज (Social Media Scrolling Addiction Harmful )
दिन प्रतिदिन सोशल मीडिया खतरनाक होता जा रहा है। आज के युवा दिनभर काम निपटाने के बाद रात में सोने से पहले ऑनलाइन स्क्रॉलिंग करते हैं, लेकिन यह स्क्रॉलिंग कुछ मिनटों के बजाय कई घंटों तक चलने लगती है। लोग घंटों समय सोशल मीडिया पर बिताने के बावजूद फोन से खुद को दूर नहीं रख पा रहे हैं। लेकिन क्या आपको पता है इससे नींद तो प्रभावित होती है साथ ही कई बीमारियों की चपेट में आने का खतरा रहता है। तो आइए जानेंगे सोशल मीडिया एडिक्शन से छुटकारा कैसे पाएं।
रात में सोशल मीडिया पर ऑनलाइन रहने का यह जुनून रिवेंज बेड टाइम प्रोक्रास्टिनेशन कहलाता है। कुछ स्टडीज में पाया गया है कि रात में स्क्रॉलिंग करने और देरी से सोने की वजह से हाई ब्लड प्रेशर, डायबटीज, हृदय संबंधी समस्याएं तो होती ही हैं, साथ ही वजन बढ़ना और अवसाद (डिप्रेशन) की समस्याएं भी शुरू हो जाती हैं। एक शोध मुताबिक यह स्थिति इसलिए परेशान कर देने वाली है। क्योंकि युवा सबकुछ जानने के बावजूद पर्याप्त नींद लेने की बजाय स्क्रॉलिंग कर रहे हैं। इस समस्या से निजात पाने के लिए लोगों को अपना स्क्रीन टाइम घटाना बेहद जरूरी है।
बताया जाता है कि रात के समय स्क्रीन की लत से दूर रहने के लिए आप अपने पसंदीदा शो को नहीं देखें। सोने से पहले सोशल मीडिया स्क्रॉल करना पसंद करते हैं, तो फोन में टाइमर लगाएंं। ऐप के नोटिफिकेशन को कुछ घंटों के लिए ब्लॉक कर सकते हैं। सोने से पहले रीडिंग, स्केचिंग, पेंटिंग, ध्यान करना या जानकारी बढ़ाने वाली चीजें खोजें। इससे स्क्रीन टाइम कम होगा। आपको नींद अच्छी आएगी।
कुछ नया सीखें: कुछ नया सीखना हमेशा रोमांचक होता है, और अपने आप को सोशल मीडिया से दूर रखने का इससे बेहतर तरीका कोई और नहीं हो सकता। जैसे बेकिंग, पेंटिंग से लेकर नए खेल तक आप इंटरनेट पर अपनी पसंद की कोई भी नई चीज सीख सकते हैं। इससे ध्यान बंट जाएगा और सोशल मीडिया पर नहीं जाएगा।
दोस्तों और परिवार के साथ बिताएं: सोशल मीडिया के बजाय अपने दोस्तों और परिवार से जुड़ने में समय बिताएं। उनके साथ ट्रिप पर जाएं या कुछ कैजुअल नाइट आउट की योजना बनाएं। इसके अलावा अपने दोस्तों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने के साथ ही मजेदार गेम्स खेल सकते हैं। लेकिन इस दौरान अपने प्लान से फोन को बाहर जरूर रखें।
रात में फोन पास न रखें: वहीं जो लोग अपने कमरे में मोबाइल रखकर सोते हैं। उनकी नींद कम गहरी होती है। यहां तक कि जो लोग सोने से पहले मोबाइल या अन्य गैजेट्स का इस्तेमाल नहीं करते, वे उन लोगों के मुकाबले कम गहरी नींद सोते हैं, जिनके गैजेट्स दूसरे कमरे में रहते हैं।
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