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ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ के पुण्यतिथि कार्यक्रम में बोले योगी आदित्यनाथ "दूसरों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना सनातन का पहला लक्ष्ण"

Roshan Kumar • LAST UPDATED : September 13, 2022, 2:01 pm IST

इंडिया न्यूज़ (गोरखपुर, Yogi adityanath in digvijay nath smiriti program): ब्रह्मलीन दिग्विजयनाथ व ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ के पुण्यतिथि कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहुंचे। सीएम योगी के साथ अलग अलग जिलों के मठों से पधारे साधु संत ने भी किया ब्रह्मलीन दिग्विजयनाथ व ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ को नमन किया.

कार्यक्रम को संबोधित करते योगी आदित्यनाथ 

 

गोरक्षपीठ में आज ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ की 53 वी पुण्यतिथि कार्यक्रम के अवसर पर आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में देश भर से साधु सन्यासी और नाथ योगी पहुंचे हुए हैं। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सीएम योगी आदित्यनाथ ने की। इसके अलावा इस कार्यक्रम में अयोध्या से आये कथाव्यास स्वामी श्रीधराचार्य, स्वामी राम दिनेशाचार्य, स्वामी विश्वेश प्रपन्नाचार्य, जूनागढ़, गुजरात से आये महन्त शेरनाथ, रोहतक हरियाणा से आये सांसद और महन्त बालकनाथ, पूर्व मेजर जनरल डॉ० अतुल वाजपेई, अमृतनाथ आश्रम राजस्थान से आये महन्त नरहरिनाथ, कालिका मन्दिर, नई दिल्ली से आये महन्त सुरेन्द्रनाथ, नैमिषारण्य से आये स्वामी विद्या चैतन्य, दुग्धेश्वरनाथ मन्दिर, गाजियाबाद से आये महन्त नारायण गिरी, नीमच, मध्य प्रदेश से आये महन्त लालनाथ, श्रृंगेरी, कर्नाटक से आये योगी कमलचन्द्रनाथ, भीडभंजन, गुजरात से आये महन्त कमलनाथ, हनुमानगढ़ी, अयोध्याधाम से आये महन्त राजूदास, भुज, गुजरात से आये योगी देवनाथ, हरिद्वार से आये योगी चेताईनाथ सहित दर्जनों साधू सन्यासियों ने दिवंगत महंत दिग्विजय नाथ को श्रद्धांजलि दी.

“हमें टीम भावना के साथ आगे बढ़ना”

इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा की “महंत अवैद्यनाथ जी का अनुसरण के लिए यह कार्यक्रम प्रति वर्ष आयोजित होता है। किसी ने आप पर कोई कृपा की है उसके प्रति आप कृतिज्ञता का भाव रखते है यही सनातन संस्कृति है। समाज तब तक स्वस्थ नही हो सकता जब तक उसके पास पर्याप्त मौके नही हो।”

उन्होंने यहाँ 1857 की स्वतंत्रता संग्राम को भी याद किया की कैसे तब अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने वालो को गोरखनाथ मंदिर से मदद मिली थी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का जिक्र करते हुए योगी ने कहा की “भारत गुरुकुल परंपरा का देश है। नई शिक्षा युवा को पीढ़ी सैद्धांतिक, व्यवारिक शिक्षा के साथ साथ तकनीकी शिक्षा में आगे बढ़ाने वाला कदम है।”

उन्होंने कुंभ और योग दिवस का जिक्र करते हुए कहा की, “पहले लोग कुंभ को भगदड़, अव्यवस्था, अराजकता, गंदी का प्रतीक माना जाता था। लेकिन 2019 में कुंभ ने एक नया मानक तय किया स्वछता, सुव्यवस्था, सुरक्षा का।  इसने दुनिया के सामने कुम्भ की एक नई छवि पेश की। हमारी कमी है की हम अपने सामने होने वाली घटना का मूल्यांकन करने में अफसल रहे है।”

उन्होंने आगे कहा की “कुछ भी निर्माण में एक टीम काम करती है। जितना योगदान राम सेतु के निर्माण में गिलहरी  उतना ही योगदान था जितना राम जी के सेना के एक-एक सैनिक है। हमें टीम भावना के साथ आगे बढ़ना है और देश और उत्तर प्रदेश को एक नई ऊंचाई पर लेकर जाना है।”

 

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