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तालिबान ने अफगानिस्तान से गुरु ग्रंथ साहिब लेकर भारत आ रहे सिखों के समूह को रोका

Vir Singh • LAST UPDATED : September 15, 2022, 12:30 pm IST
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद की अपील

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली, (Taliban On Guru Granth Sahib): अफगानिस्तान से 60 सिखों का एक समूह गुरु ग्रंथ साहिब लेकर भारत आना चाहता है, लेकिन तालिबान ने उसे रोक दिया है। अमृतसर स्थित सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने यह जानकारी दी है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद की अपील की है। सिखों का समूह 11 सितंबर को चार गुरु ग्रंथ साहिब लेकर भारत आने वाला था। उन्होंने भारत सरकार व विदेश मंत्रालय के साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय से इस मामले में हस्तक्षेप करने व अफगानिस्तान में सिखों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है।

सिखों के धार्मिक मामलों में सीधा हस्तक्षेप : हरजिंदर सिंह धामी

हरजिंदर सिंह धामी ने तालिबान सरकार के इस कदम की कड़ी निंदा की है। उन्होंने इसे सिखों के धार्मिक मामलों में सीधा हस्तक्षेप बताया है। बता दें कि गुरु ग्रंथ साहिब जैसे धार्मिक ग्रंथों को अफगानिस्तान की विरासत का हिस्सा माना गया है। जब तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता संभाली थी, उस समय भारत ने रेस्क्यू आॅपरेशन चलाया था। अफगान सिख उस समय भी अपने साथ गुरु ग्रंथ साहिब ला रहे थे, लेकिन तब तालिबान न े ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं लगाया था।

अधिकारी बोले, यात्रा बैन नहीं, लेकिन ग्रंथ नहीं ले जा सकते

भारतीय विश्व मंच ( आईडब्ल्यूएफ) के अध्यक्ष पुनीत सिंह चंडोक ने बताया कि अफगानिस्तान का संस्कृति मंत्रालय धार्मिक ग्रंथों को अपने देश की विरासत का हिस्सा मानता है। उन्होंने बताया कि जब वे सिखों को रोके जाने को लेकर अधिकारियों के पास गए तो उन्हें बताया गया कि यात्रा बैन नहीं है, लेकिन वे गुरु ग्रंथ साहिब नहीं ले जा सकते हैं। चंडोक ने कहा, हम अफगान सिखों को अफगान शासन से धार्मिक ग्रंथ भारत लाने की अनुमति देने व संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुरूप धार्मिक आजादी की सुविधा देने का आग्रह करते हैं।

रोक का कदम सिख समुदाय के लिए चिंताजनक

तालिबान सरकार का रोक का कदम सिख समुदाय के लिए चिंताजनक हो गया है। अफगानिस्तान में अब भी कई ऐसे लोग फंसे हैं जिनके परिवार भारत आ चुके हैं। बता दें कि भारत में लगभग 20,000 अफगान सिख हैं और इनमें से अधिकतर राजधानी दिल्ली में रहते हैं। गौरतलब है कि 1990 के दशक में अफगान सिख अपने देश भागना शुरू हुए थे और अब अफगानिस्तान में 100 से भी कम सिख बचे हैं।

जीवन व धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करे अफ़ग़ानिस्तान

हरजिंदर सिंह धामी ने कहा, यदि अफगान सरकार को वास्तव में सिखों की परवाह है तो उसे उनके पूजा स्थलों पर हमला करने के बजाय उनकी संपत्ति, उनके जीवन व धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने कहा, अफगान सिखों पर अत्याचार कर उन्हें देश छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है। सिख समुदाय अब अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय बनकर रह गया है। धामी का कहना है कि अगर सिख अफगानिस्तान में नहीं रहेंगे तो गुरुद्वारा साहिबों की देखभाल कौन करेगा।

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