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सूर्य ग्रहण 2022: कुरुक्षेत्र ब्रह्मसरोवर के पवित्र जल में युधिस्टर घाट पर सबसे पहले नागा साधुओं ने लगाई मोक्ष की डुबकी

Naresh Kumar • LAST UPDATED : October 25, 2022, 6:49 pm IST

इशिका ठाकुर, कुरुक्षेत्र न्यूज। Surya Grahan 2022: आज 4:27 मिनट सूर्य ग्रहण शुरू होते ही श्रद्धालुओं ने ब्रह्मसरोवर के पवित्र जल में युधिस्टर घाट पर सबसे पहले नागा साधुओं ने मोक्ष की डुबकी लगाई। उनके बाद ही लाखों श्रद्धालुओं ने भी मोक्ष की डुबकी लगाई। साल के आखिरी सूर्य ग्रहण के दौरान मंगलवार को श्रद्धालुओं ने हरियाणा के ब्रह्म सरोवर में डुबकी लगाई। सूर्य ग्रहण का धार्मिक महत्व है और इस दिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है। और अपनी इच्छा अनुसार दान किया जाता है। हिंदू धर्म में ग्रहण के दौरान लोग कुछ भी खाने से बचते हैं।

आपको बता दें कि सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है। यह ग्रहण 4:27 बजे शुरू हुआ और लगभग 5:39 बजे तक जारी रहेगा।

नागा साधुओं की यात्रा के दौरान फूल और चावल से उनका स्वागत किया गया। इस शाही स्नान के लिए प्रशासन की तरफ से सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। नागा साधुओं का शाही स्नान ब्रह्मसरोवर के युधिष्ठिर घाट पर हुआ।

महाभारत की एक कथा के मुताबिक भगवान श्री कृष्ण के मथुरा छोड़ने के बाद अपने माता-पिता व राधा से आखिरी मुलाकात हुई थी। यही नहीं सभी गोपियों संग भगवान श्रीकृष्ण ने पवित्र ब्रह्मसरोवर में स्नान किया था। गोपियों से मिलने के बाद भगवान श्रीकृष्ण की कुंती व द्रौपदी सहित पांचों पांडवों से भेंट हुई।

सूर्यग्रहण का पुराणों में जिक्र है कि राहु द्वारा भगवान सूर्य के ग्रस्त होने पर सभी प्रकार का जल गंगा के समान, सभी ब्राह्मण ब्रह्मा के समान हो जाते हैं। इसके साथ ही इस दौरान दान की गई सभी वस्तुएं भी स्वर्ण के समान होती हैं।

सूर्य ग्रहण एक ऐसी खगोलीय घटना है। जिसे प्राय अकाशिया चमत्कार समझा जाता है। विज्ञान व ज्योतिष के अनुसार सौरमंडल में अपनी कक्षा में घूमती हुई पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा के आने के कारण चंद्रमा की छाया सूर्य पर पड़ने से सूर्य ग्रहण होता है।

पौराणिक साहित्य में समय-समय पर राहु के सूर्य और चंद्रमा को ग्रसित करने के कारण ही सूर्य और चंद्र ग्रहण होते हैं। इसी कारण सूर्य और चंद्र ग्रहण के अवसर पर लोगों द्वारा तीर्थों पर कई प्रकार की श्रत्विज क्रियाएं संपन्न की जाती है।

आदिकाल से ही कुरुक्षेत्र में सूर्यग्रहण के अवसर पर स्नान की परंपरा रही है। महाभारत के अनुसार सूर्य ग्रहण के अवसर पर कुरुक्षेत्र स्थित ब्रह्मसरोवर का स्पर्श मात्र कर लेने से सौ अश्वमेघ यज्ञ के फल की प्राप्ति होती है।

मत्स्य पुराण में भी सूर्य के राहु ग्रस्त होने पर कुरुक्षेत्र में किया गया स्नान महान पुण्यदायी कहा गया है। दिन हो या रात यह शुक्ल तीर्थ महान फलदायी है।

महाभारत के उद्योग पर्व में युधिस्टर के राजूसूय यज्ञ के 15 वर्ष पश्चात ज्येष्ठ अमावस्या को कुरुक्षेत्र में सूर्य ग्रहण दिखाई देने के साहित्यिक प्रमाण मिलते हैं। शास्त्रों में सूर्यग्रहण के अवसर पर कुरुक्षेत्र के पवित्र सरोवर में किए गए स्नान एवं श्राद्ध की महिमा का उल्लेख मिलता है।

अनादि काल से ही सूर्य ग्रहण के अवसर पर कुरुक्षेत्र के सरोवरों में स्नान करने के लिए असंख्य तीर्थयात्री, राजा, महाराजा, साधु-संत आते रहे हैं। ऐतिहासिक युग से ही कुरुक्षेत्र में सूर्य ग्रहण के अवसर पर स्नान की परंपरा के अनेकों उदाहरण मिलते हैं।

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