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नौसेना को मिला पहला स्वदेशी युद्धपोत आईएनएस विक्रांत

Vir Singh • LAST UPDATED : September 2, 2022, 11:09 am IST
  • पीएम मोदी ने नौसेना के नए झंडे का भी अनावरण किया

इंडिया न्यूज, कोच्चि, (INS Vikrant): नौसेना को आज  पहला स्वदेशी युद्धपोत मिल गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केरल के कोचीन शिपयार्ड में एक कार्यक्रम के दौरान आईएनएस विक्रांत भारतीय नौसेना को समर्पित किया। युद्धपोत 2009 में बनाना शुरू किया गया था। इस कार्यक्रम के बीच पीएम मोदी ने भारतीय नौसेना के नए झंडे का भी अनावरण किया। इस अवसर पर उनके साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा मुख्यमंत्री पिनरई विजयन व राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान भी मौजूद रहे। भारतीय वैज्ञानिकों व इंजीनियर्स ने आईएनएस विक्रांत बनाने का काम 2009 में शुरू किया। अब 13 साल बाद ये नौसेना मिला है।

युद्धपोत का निर्माण हमारे इंजीनियर्स की जीवटता की मिसाल

पीएम मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, आईएनएस विक्रांत में इतने केबल का इस्तेमाल किया है कि अगर वो कोच्चि से शुरू होती है तो काशी तक पहुंच सकती है। उन्होंने कहा, हमारे इंजीनियर्स की जीवटता की यह एक मिसाल है। पीएम ने कहा, अब तक ऐसे एयरक्राफ्ट कैरियर का निर्माण केवल विकसित देश ही करते हैं। भारत ने भी इस लीग में शामिल होकर विकसित राष्ट्र की दिशा में एक और कदम बढ़ा दिया है।

अंबाला सहित 18 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में बनाए हैं उपकरण

नौसेना के उपप्रमुख वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे ने बताया कि आईएनएस विक्रांत के उपकरण अंबाला सहित देश के 18 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में निर्मित किए गए हैं। अंबाला के अलावा राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के जिन शहरों में उपकरण बनाए गए हैं उनमें कोलकाता, जालंधर, दमन, पुणे, नई दिल्ली और कोटा शामिल हैं।
यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ का आदर्श उदाहरण है, जो ‘मेक इन इंडिया’ पहल पर जोर देता है।

वैज्ञानिकों, नौसेना व श्रमिकों का तहेदिल से अभिनंदन : प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री ने कहा, मैं उन वैज्ञानिकों व नौसेना के अलावा श्रमिकों का तहेदिल से अभिनंदन करता हंू जिन्होंने आईएनएस विक्रांत जैसे युद्धपोत का निर्माण कर सपने को साकार किया है। यह उपलब्धि देश को ऐसे समय हासिल हुई है, जब ओणम का पवित्र त्योहार चल रहा है। मोदी ने कहा, इस अवसर पर सभी देशवासियों के ओणम की शुभकामनाएं भी देता हूं।

एक तैरता शहर है युद्धपोत, इसमें बिजली भी बनती है

पीएम ने युद्धपोत की खूबियां गिनाते हुए कहा कि इसके हर हिस्से की एक खूबी, शक्ति व विकास यात्रा है। यह स्वदेशी संसाधन, स्वदेशी सामर्थ्य और स्वदेशी कौशल का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि आईएनएस विक्रांत के एयरबैस में जो स्टील लगाई गई है, वह स्वदेशी है। डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने इस स्टील को तैयार किया है। यह युद्धपोत से ज्यादा एक तैरता एयरफील्ड है, अथवा ऐसे कहें कि यह एक तैरता हुआ शहर है। पीएम ने बताया कि इसमें बिजली का इतना उत्पादन हो सकता है कि उससे 5000 घरों को रोशनी पहुंचाई जा सकती है।

भारतीय जांबाज जो ठान लेते हैं उस लक्ष्य को वे पूरा करके रहते हैं

मोदी ने कहा, भारत और हमारे देश के जांबाज जब किसी लक्ष्य को हासिल करने की ठान लेते हैं तो उसे पूरा करके रहते हैं। उन्होंने कहा, भारत आज दुनिया के विश्व के उन देशों में शामिल हो गया है जो स्वदेशी तकनीकों से विशाल एयरक्राफ्ट बनाते हैं। आईएनएस विक्रांत ने आज देश को एक नए विश्वास से ओतप्रोत कर दिया है। आईएनएस विक्रांत विराट, विशाल, विहंगम और विशिष्ट के साथ यह विशेष भी है। यह एक युद्धपोत नहीं बल्कि 21वीं सदी के भारत की प्रतिभा, प्रभाव, प्रतिबद्धता व परिश्रम का प्रमाण है।

जानिए कितना है वजन, लोहा इतना लगा है कि जानकार हो जाएंगे हैरान

आईएनएस विक्रांत का वजन 45000 टन है। मतलब यह कि इसके निर्माण में फ्रांस स्थित एफिल टावर के वजन से 4 गुना अधिक स्टील व लोहा लगा है। युद्धपोत की चौड़ाई 62 मीटर व लंबाई 262 मीटर है। मतलब यह वॉरशिप फुटबॉल के दो मैदान के बराबर है। इसमें 76 फीसदी स्वदेशी उपकरण लगे है और 450 किलोमीटर मारक क्षमता वाली ब्रह्मोस मिसाइल भी इस पर तैनात रहेगी। इसमें 2400 किलोमीटर केबल लगी है। यानी यह केबल कोच्चि से दिल्ली तक पहुंच सकती है।

युद्धपोत पर एक साथ तैनात हो सकते हैं 30 विमान

आईएनएस विक्रांत में एक 30 एयरक्रॉफ्ट तैनात किए जा सकते हैं। इसके अलावा इससे मिग 29के फाइटर जेट भी उड़ान भरकर एंटी-सरफेस, एंटी-एयर व और लैंड अटैक कर सकते हैं। युद्धपोत हेलिकॉप्टर भी उड़ान भर सकता है। युद्धपोत में 88 मेगावाट बिजली की चार गैस टर्बाइन लगी हैं, जिसकी अधिकतम गति 28 (नौट) समुद्री मील है। 20,000 करोड़ की लागत से बने इस युद्धपोत में 2,300 कंपार्टमेंट के साथ 14 डेक हैं जो लगभग 1,500 जवानों को ले जा सकते हैं। इसी रसोई में लगभग 10,000 रोटियां बनाई जा सकती हैं।

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