इंडिया न्यूज़ (दिल्ली):सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और झाखंड सरकार के झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी,जिसमें सोरेन और उनके सहयोगियों से संबंधित सेल कंपनियों के संबंध में एक जनहित याचिका (पीआईएल) को स्वीकार किया गया था.
न्यायमूर्ति यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले को 12 अगस्त के लिए स्थगित कर दिया,झारखंड सरकार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है,झारखंड सरकार ने झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की थी.
तीन जून को,झारखंड उच्च न्यायालय ने सोरेन के खिलाफ दो जनहित याचिकाएं स्वीकार कीं थी,उच्च न्यायालय ने अपने 79 पन्ने के फैसले में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी की दलीलों को ख़ारिज कर दिया था.
उच्च न्यायालय ने आपत्तियों को बिंदुवार खारिज करते हुए कहा था कि झारखंड उच्च न्यायालय (जनहित याचिका) नियम, 2010 के नियम 4, 4-बी और 5 के अनुसार कुछ आवश्यकताओं का पालन नहीं किया गया है और तत्काल रिट याचिकाओं को अनुरक्षणीय नहीं माना जा सकता.
“यह न्यायालय,मामले के पूर्वोक्त पहलू पर विचार करने के बाद और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि यह मुद्दा जो रिट याचिका का विषय है,क्योंकि इसमें बड़े पैमाने पर सार्वजनिक धन की हेराफेरी करने का मुद्दा शामिल है,यह बड़े पैमाने पर जनहित से जुड़ा है,इसलिए यह न्यायालय इस आधार पर रिट याचिका को अस्वीकार करना उचित नही समझता” झारखंड उच्च न्यायालय अपने आदेश में ऐसा कहा था.
अपने निष्कर्ष में मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने कहा यह न्यायालय, इस मुद्दे का उत्तर देने के बाद जैसा कि इस न्यायालय द्वारा तैयार किया गया है और इसके ऊपर की गई चर्चाओं के आधार पर अपने विचार को संक्षेप में प्रस्तुत कर रहा है और सुविचारित राय है कि रिट याचिकाओं को संधार्यत के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता है.
झारखंड उच्च न्यायालय सेल कंपनियों,मुख्यमंत्री सोरेन के खनन पट्टे और मनरेगा घोटाले से संबंधित विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था.