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हरियाणा में भारी बारिश से धान की फसल को नुकसान

Roshan Kumar • LAST UPDATED : September 24, 2022, 5:42 pm IST

इंडिया न्यूज़ (चंडीगढ़, paddy farmers face problem in heavy rain): सितम्बर की बेमौसम भारी बारिश ने हरियाणा के कई जिलों में जहां बासमती का उत्पादक मुख्य रूप से होता है। वहाँ खड़े धान को नुकसान पहुंचाया है। किसानों ने मांग की है कि उन्हें सरकारी एपीएमसी (कृषि उपज बाजार समिति) मंडियों के अलावा अपनी फसल सीधे चावल मिलों को बेचने की इजाजत दी जाएं.

इस साल करनाल और इसके आस-पास के जिलों के किसानों ने धान की कटाई कुछ दिनों पहले ही की थी क्योंकि वह दाम को लेकर काफी उत्साहित थे, धान की यह किस्म 3,500-3,600 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही थी जबकि पिछले साल इस समय यह 2,800-2,900 रुपये थी.

आढ़तियों ने की थी हड़ताल

लेकिन पिछले 3-4 दिनों से हरियाणा में आढ़तियों (कमीशन एजेंटों) द्वारा बुलाई गई हड़ताल के कारण किसान फसल को नहीं बेच सके, फिर कई किसानों ने फसल को अपने मवेशी शेड में रखने का फैसला किया। हालाँकि, अब उनकी समस्याएँ पिछले दो दिनों के दौरान लगातार हो रही बारिश से और बढ़ गई हैं और बरसात में फसल सड़ने का खतरा है.

किसानों को डर है कि बारिश के बाद उच्च नमी के कारण बासमती का रंग फीका पड़ जाएगा या अंकुरण भी हो जाएगा, जिससे उसकी कीमत कम हो जाएगी। ज्यादातार किसानों के पास नमी को कम करने और अनाज को खराब होने से बचाने की सुविधा नहीं है.

बासमती बेल्ट में भारी बारिश 

शुक्रवार 23 सितम्बर कि बात करे तो को हरियाणा और दिल्ली में क्रमश: 739 फीसदी और 1,027 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई। सोनीपत और पानीपत से लेकर करनाल, कुरुक्षेत्र और अंबाला तक पूरे बासमती बेल्ट में भारी बारिश हुई। वही मौसम विभाग के अनुमान के मुताबिक अगले दो दिनों तक बारिश होने कि संभावना जताई गई है.

paddy crops
बासमती मंडी के बाहर भी पड़ी है (प्रतीकात्मक तस्वीर).

किसानों को नुकसान मुख्य रूप से कम अवधि की बासमती किस्मों जैसे पूसा-1509 और पूसा-1692, और PR-126 (एक गैर-बासमती किस्म) का नुकसान होगा, जो 115-125 दिनों में परिपक्व होती है। यदि इन्हें 1 जुलाई से पहले रोपा गया और लगभग 25 दिन पहले नर्सरी में बोया गया, तो वे कटाई के लिए तैयार हो जाएंगे.

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के अनुसार बारिश के कारण खड़ी फसल को रखने से नुकसान होता है और परिपक्व अनाज पौधे में ही अंकुरित हो जाता है। हालांकि, पूसा-1121 बासमती और अन्य लंबी अवधि की धान की किस्मों को ज्यादा नुकसान नहीं होता.

फसल मंडी के बाहर पड़ी है

कई किसानों के फसल करनाल एपीएमसी मंडियों में पड़े हैं। आढ़तियों की हड़ताल के कारण इन्हें बेचा नहीं जा सका। कई किसानों के खेत में पानी भर गया है। जब तक खेत से पानी नही निकाला जाता तब तक कटाई नही होगी यदि यह ज्यादा दिन रहा तो कवक के संक्रमण के कारण अनाज काला हो जाता है या अंकुरित हो जाता है, इससे बहुत बड़ा नुकसान होता है.

जानकारों के अनुसार इस वक़्त सरकार को दो काम करने चाहिए, पहला यह कि “किसानों को अपनी फसल सीधे चावल मिलों में लाने की अनुमति दी जानी चाहिए। हरियाणा में लगभग 1,200 चावल मील है जिनमें धान सुखाने की सुविधा है।”

दूसरा, अगले तीन हफ्तों में बिकने वाले धान को 6.5 प्रतिशत तक लेवी से छूट देना चाहिए जिनमे 2 प्रतिशत एपीएमसी बाजार शुल्क, 2 प्रतिशत ग्रामीण विकास उपकर और 2.5 प्रतिशत आढ़ती कमीशन होता है.

एपीएमसी मंडियां 30 प्रतिशत तक नमी वाले धान को संभाल नहीं सकती हैं। जानकारों के अनुसार सरकार को तीन सप्ताह के लिए एपीएमसी में बाजार शुल्क लगाने के साथ-साथ अनिवार्य बिक्री को निलंबित करना चाहिए ताकि किसानों को बारिश से क्षतिग्रस्त धान पर कम कीमत की वसूली का नुकसान न हो.

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