होम / Waqf Act 1995: जाने, क्या है वक्फ अधिनियम 1995? और क्यों इसे खत्म करने की हो रही है मांग

Waqf Act 1995: जाने, क्या है वक्फ अधिनियम 1995? और क्यों इसे खत्म करने की हो रही है मांग

Roshan Kumar • LAST UPDATED : September 19, 2022, 2:51 pm IST

इंडिया न्यूज़ (दिल्ली, All About Waqt Act 1995): तमिलनाडु के त्रिची जिले में स्थित तिरुचेंथुरई गांव, यहाँ के एक निवासी राजगोपाल पिछले दिनों अपनी जमीन बेचने रजिस्ट्रार के दफ्तर पहुंचे, पर रजिस्ट्रार ने जो जवाब दिया उसको सुन कर राजगोपाल हैरान रह गए, रजिस्ट्रार ने बताया की पूरी गांव की जमीन राज्य की वक्फ बोर्ड की हो चुकी है। इसलिए वह जमीन नही बेच सकते हैं और अगर बेचनी है तो राज्य के वक्फ बोर्ड से एनओसी यानी अनापत्ति प्रमाण पत्र लेकर आए, इसपर राजगोपाल ने जवाब दिया कि उन्होंने 1992 में जमीन खरीदी अब बेचना चाहते हैं तो यह जमीन वक्फ बोर्ड की कैसे हो गई? इसपर रजिस्ट्रार ने उन्हें 250 पन्नो का एक दस्तावेज पकड़ा दिया और बताया कि पूरी गांव की जमीन वक्फ बोर्ड की हो चुकी है.

दरअसल, वक्फ एक्ट 1995 के तहत बोर्ड ने पूरे गांव पर दावा किया था, जिसे तमिलनाडु सरकार ने मंजूरी दे दी थी। इसी गांव में 15 सौ साल पुराना मानेदियावल्ली समीता चंद्रशेखर स्वामी मंदिर है और मंदिर के नाम 369 एकड़ जमीन है। जिसका मालिक अब वक्फ बोर्ड को बताया जा रहा है। जब से यह पूरा प्रकरण हुआ है। तब से वक्फ एक्ट पर एक नई बहस शुरू हो गई है। लोग इसे खत्म करने की मांग कर रहे हैं। तो आइये जानते हैं कि, वक्फ अधिनियम 1995 क्या है? वक्फ बोर्डों की क्या शक्तियां हैं? क्या वक्फ बोर्ड आपके घर को अपनी संपत्ति के रूप में दावा कर सकता है? क्या है वक्फ सिस्टम?

1. वक्फ का वास्तविक अर्थ होता है, अल्लाह की संपत्ति है जो मुस्लिमो के लिए दान में दी गई हो, मान लीजिए अहमद 80 साल का है। उनके पास दो फ्लैट हैं। मरने से पहले वह 1 फ्लैट कौम के लिए दान करना चाहता है इसलिए उसने 1 फ्लैट वक्फ को दान कर दिया, जैसा कि उसने अब दान कर दिया अब वह संपत्ति अल्लाह की है। वक्फ बोर्ड उस फ्लैट का मालिक नहीं बल्कि केयरटेकर है और वे उस फ्लैट का उपयोग मुस्लिम स्कूल, छात्रावास, सामुदायिक हॉल या समुदाय के लिए किसी भी रूप में कर सकता हैं.

2. साल 1947 में जब पाकिस्तान बना तो सरकार ने वहां के हिंदुओं की सारी जमीन जब्त कर ली और उस जमीन को मुस्लिमों और राज्य सरकार को दे दिया.

3. सबसे पहले वक्फ बोर्ड अधिनियम, साल 1954 में लाया गया था। इसके तहत केंद्रीय वक्फ परिषद् बनाया गया, फिर इसमें साल 1959, 1964, 1969, 1984 में संशोधन हुए, लेकिन साल 1995 में जो संशोधन हुआ उसके प्रावधान काफी एकतरफा थे जिसको लेकर लगातार विवाद होते रहते हैं। तब कांग्रेस नेता नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थे और वह वक्फ अधिनियम 1995 को लेकर आए थे.

आइए जानते है वक्फ अधिनियम के बारे में 

1.धारा 3 (आर) 

वक्फ क्या है – मुस्लिम कानून द्वारा पवित्र, धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त किसी भी उद्देश्य के लिए कोई भी संपत्ति इसलिए मुस्लिम कानून के अनुसार (भारतीय कानून नहीं) अगर उन्हें लगता है कि जमीन मुस्लिम की है तो वह वक्फ हो जाती है.

उदहारण के लिए, आपने 2010 में रमेश से जमीन खरीदी और रमेश ने 1965 में सलीम से जमीन खरीदी तो वक्फ बोर्ड दावा कर सकता है कि 1964 में सलीम ने वह जमीन वक्फ को दे दी थी और अब वह उनकी जमीन है। तब आप कोर्ट नहीं जा सकते, आपको राज्य वक्फ बोर्ड में जाना होगा.

वर्त्तमान में भारत में एक केंद्रीय वक्फ बोर्ड और राज्य वक्फ बोर्ड है। वक्फ बोर्ड 7 व्यक्तियों की एक समिति है। सभी व्यक्ति मुस्लिम होते है। सोशल मीडिया पर यह सवाल पूछा जा रहा कि जब भारत सरकार, मंदिर नियंत्रण अधिनियम लेकर आती है और सारी मंदिरों कि सम्पतियों को सरकारी नियंत्रण में ले लेती है। मंदिर के बोर्ड में कोई गैर हिंदू भी मंदिर भी सदस्य बन सकता है वही वक्फ अधिनियम के माध्यम से इससे एक स्वायत्त संस्था बनाए रखा गयाऔर जहां  कोई भी गैर मुस्लिम वक्फ बोर्ड का हिस्सा नहीं बन सकता.

2. धारा 4 – कोई भी भूमि जिसे मुस्लिम कानून धार्मिक मानता है, वह वक्फ भूमि है। वक्फ बोर्ड में एक सर्वेक्षक होता है जो सभी जमीनों का सर्वेक्षण करता रहता है और अगर उसे लगता है कि कोई संपत्ति वक्फ की है तो वे नोटिस जारी कर सकता हैं। वक्फ का नेतृत्व एक सीईओ द्वारा किया जाता है जो मुस्लिम होना चाहिए। धारा 28 वक्फ सीईओ को कलेक्टर को आदेश देने की शक्ति देता है.

उदाहरण, अगर आपको वक्फ बोर्ड के सर्वेक्षक का नोटिस मिलता है तो आपको वक्फ बोर्ड को यह समझाना पड़ेगा कि यह जमीन आपकी कैसे है.

3. धारा 40 – चाहे आपकी जमीन हो या वक्फ बोर्ड, अगर बोर्ड कोई नोटिस जारी करता है तो फिर यह यह वक्फ बोर्ड द्वारा तय किया जाएगा कि जमीन किसकी है और उसका निर्णय आखिरी होगा उससे किसी अदालत में चुनौती नही दी जा सकती.

waqt act 40
कानून कि एक प्रति.

 

इसके लिए वक्फ ट्रिब्यूनल कोर्ट हैं यह इस कानून कि धारा 83 के तहत बनाया गया है। वर्तमान में हर राज्य में केवल 1-2 अदालतें हैं। जो ज्यादातार राज्य कि राजधानियों में है। ट्रिब्यूनल में 2 न्यायाधीश होते (कोई धर्म निर्दिष्ट नहीं) और एक प्रख्यात मुस्लिम विद्वान.

4. धारा 85– ट्रिब्यूनल का फैसला अंतिम होगा। कोई भी सिविल कोर्ट (सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट) ट्रिब्यूनल कोर्ट के आदेश को नहीं बदल सकता। हालांकि बाद में इस खंड को सुप्रीम कोर्ट ने मई 2022 में राजस्थान के जिंदल सॉ केस मामले में रोक दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ‘कोई भी अदालत हमसे बेहतर नहीं है और हम किसी भी फैसले में हस्तक्षेप कर सकते हैं।”

2005 में, यूपी वक्फ बोर्ड ने एएसआई के खिलाफ ताजमहल पर दावा किया, हालांकि वे सुप्रीम कोर्ट में केस हार गए। उन्होंने ज्ञानवापी मामले में भी वक्फ अधिनियम के प्रावधानों का इस्तेमाल गया है.

सोशल मीडिया पर यह सवाल पूछा जा रहा है कि “यदि कोई भी व्यक्ति किसी दूसरी की जमीन का अतिक्रमण करता है तो उसे सिविल कोर्ट जाना पड़ता है”, लेकिन अगर कोई मुस्लिम, हिंदू या किसी अन्य धर्म की भूमि का अतिक्रमण करता है तो क्या उसे वक्फ ट्रिब्यूनल जाना होगा? यह विशेषाधिकार केवल एक धर्म को ही क्यों?

12 लाख करोड़ का मालिक

आज वक्फ बोर्ड के पास भारतीय रेलवे के बाद देश में सबसे ज्यादा जमीन है, जिसकी 6 लाख सम्पत्तियाँ है और इसका बाजार मूल्य लगभग 12 लाख करोड़ रुपये है। वक्फ कई जमीनों को किराए पर भी देता है और इससे करोड़ों रुपये का किराया भीआता है जो धार्मिक उत्थान, और कई मुकदमे के लिए इस्तेमाल किया जाता है। सरकार उसे वित्तीय सहायता भी प्रदान करती है.

एक अनुमान के मुताबिक, सरकार हिंदू मंदिरों से हर साल 1 लाख करोड़ रुपये टैक्स के रूप में लेती है जिसका इस्तेमाल सरकार अपने हिसाब से करती है। सोशल मीडिया की बहस में यह सवाल भी पूछा जा रहा है कि जब सरकार मंदिरों से पैसा लेती है तो फिर 12 लाख करोड़ कि सम्पत्ति रखने वाली वक्फ बोर्ड को अनुदान क्यों देती है?

दिल्ली की 123 सम्पत्तियाँ दी गई

इसका के दुरूपयोग का सबसे खतरनाक और विचित्र उदहारण देखने को मिलता है साल 2014 में, आम चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने से एक रात पहले, यूपीए सरकार ने वक्फ बोर्ड को दिल्ली में 123 प्रमुख संपत्तियां दे दी थी। इसमें से 61 सम्पत्तियाँ केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय के अधीन थी वही 62 दिल्ली विकास प्राधिकरण के अधीन थी.

जिन संपत्तियों को वक्फ को देने का आदेश दिया है उसमे से कुछ तो दिल्ली के दूरदराज इलाके में है, लेकिन ज्यादातर इलाके कनॉट प्लेस, मथुरा रोड, लोधी रोड, मानसिंह रोड, पंडरा रोड, अशोका रोड, जनपथ, संसद भवन, करोल बाग, सदर बाजार, दरियागंज और जंगपुरा है। पूरे मामले को एक सप्ताह के भीतर जल्दबाजी में अंजाम दिया गया जो कई विभागों और मंत्रालयों द्वारा से पास हो गया.

UPA sarkaar list
यूपीए सरकार द्वारा दी गई सम्पत्तियों कि सूचि.

एनडीए की सरकार बनने के तुरंत बाद, विश्व हिन्दू परिषद् (विहिप) ने इन संपत्तियों को डी-नोटिफिकेशन को चुनौती दी, जो कि ब्रिटिश राज से पूर्व-स्वतंत्रता से विरासत में मिली थी। अगस्त 2014 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को 123 संपत्तियों के संबंध में उचित निर्णय लेने का आदेश दिया.

सरकार ने 2016 में उक्त उद्देश्य के लिए एक सदस्यीय समिति का गठन किया जिसने 2017 में अनिर्णायक रिपोर्ट प्रस्तुत की। अगस्त 2018 में, सरकार ने दो सदस्यीय समिति नियुक्त की। साल 2021 के नवंबर में, डीडीए ने संपत्तियों के संबंध में अभ्यावेदन आमंत्रित करते हुए सार्वजनिक नोटिस जारी किया.

साल 2017 में एक कथित कब्रिस्तान जिसे भारतीय-तिब्बत सीमा बल पुलिस को आवंटित किया गया था। इस मामले कि सुनवाई करते हुए भी मार्च 2022 में भी दिल्ली उच्च न्यायलय ने केंद्र सरकार से इन 123 सम्पत्तियों पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा था.

इस कानून की धारा 4, 6, 7, 11, 19, 23, 29, 30, 40, 77, 83, 85, 99 संस्था को कई असीमित शक्तियां देती है जिसको लेकर विवाद है, इस कानून में कुल 113 धाराएं है.

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

CJI ने वकीलों को दिए तोहफा, अब मिलने वाली है ये सुविधाएं
Lok Sabha Election 2024: राहुल गांधी-अखिलेश यादव गठबंधन पर पीएम मोदी का तंज, कहा 2 लड़कों के बीच दोस्ती…Indianews
अक्षय कुमार की भतीजी Simar Bhatia संग रोमांस करेंगे Agastya Nanda! सच्ची घटना पर आधारित Ikkis से करेंगी डेब्यू -Indianews
Gyanvapi: ज्ञानवापी मामले में फैसला सुनाने वाले जज को आया इंटरनेशनल कॉल, दिया मौत की धमकी
मुफ्त डोसा, रैपिडो यात्रा और बीयर सहित कई चीजों पर छूट, बेंगलुरू में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए किया ऐलान
Lok Sabha Election 2024: कांग्रेस घोषणापत्र विवाद पर मल्लिकार्जुन खड़गे ने लिखा पीएम मोदी को पत्र, जानें क्या कहा
Priyanka Chopra के प्रोडक्शन हाउस में बनी Women Of My Billion का ट्रेलर हुआ जारी, इस दिन ओटीटी पर होगी रिलीज -Indianews
ADVERTISEMENT