नई दिल्ली (Supreme Court): सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बताया कि कथित धोखाधड़ी धर्मांतरण के मुद्दों और अंतर्धार्मिक विवाहों के कारण धर्म परिवर्तन पर विभिन्न राज्य कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 17 मार्च को कोर्ट में सुनवाई होगी। अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यश्रता वाली पीठ से अधिवक्ता अश्विन उपाध्याय ने आग्रह किया था कि उन्होंने जो जनहित याचिका दायर की है वो याचिकाएं धर्मांतरण पर विभिन्न राज्य कानूनों की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं से अलग हैं।
अधिवक्ता अश्विनी ने जनहित याचिका पर अलग से सुनवाई करने की मांग की। इस पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सभी याचिकाएं 17 मार्च, 2023 को हमारे सामने होंगी और उन्होंने जनहित याचिका पर अलग से सुनवाई करने के लिए इनकार कर दिया। जनहित याचिका में फर्जी धर्मांतरण को रोकने के लिए केंद्र और राज्यों को कड़े कदम उठाने की मांग की गई है।
मुस्लिम निकाय ने अंतर्धार्मिक विवाहों के कारण धर्म परिवर्तन जैसे 21 मामलों को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने की भी मांग की है, जिसमें राज्य के कानूनों को चुनौती दी गई है। तीन फरवरी को शीर्ष अदालत ने मुस्लिम निकाय द्वारा दायर की गई याचिका पर केंद्र और छह राज्यों से जवाब मांगा था, जिसमें 21 मामलों को स्थानांतरित करने की मांग की गई थी।
मुस्लिम निकाय ने गुजरात उच्च न्यायालय और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में लंबित तीन, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में पांच, झारखंड उच्च न्यायालय में तीन, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में छह और कर्नाटक उच्च न्यायालय की एक याचिका को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने की मांग की है, जिसमें संबंधित राज्य कानूनों को चुनौती दी गई है।
इसके अलावा गुजरात और मध्य प्रदेश से दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई हैं, जिसमें संबंधित उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें धर्मांतरण पर राज्य के कानूनों के कुछ प्रावधानों पर रोक लगाई गई थी।
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