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बुमराह कैसे फेंकते हैं तेज गेंद, जानिए क्या है इसकी ट्रिक

Amit Gupta • LAST UPDATED : September 7, 2021, 2:35 pm IST

How Bumrah throws fast ball, know what is the trick

मनोज जोशी

भारतीय गेंदबाजों के बारे में आम तौर पर देखा गया है कि वे अपने करियर की शुरुआत में 145 किलोमीटर के आस-पास गेंदबाजी करते हैं। लेकिन वक्त के साथ उनकी गेंदबाजी 128 से 132 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक रह जाती है। जसप्रीत बुमराह (Jaspreet Bumrah) इसके अपवाद हैं। वक्त के साथ उनकी गेंदबाजी में जबर्दस्त निखार आया है। यहां तक कि वह गेंदबाजी के अपने तमाम प्रयोगों की तरह ही अपनी गति से भी विपक्षी बल्लेबाजों को डराते हैं।

बैक स्पिन का बहुत अच्छा इस्तेमाल करते है बुमराह

बुमराह के प्रयोग इसलिए भी सफल रहते हैं क्योंकि वह अपने गेंद के रिलीज के साथ बैक स्पिन का बहुत अच्छा इस्तेमाल करते हैं। इससे गेंद की चमक वाली साइड से गेंद को लेट स्विंग करने में मदद मिलती है। इसी बैक स्पिन के जरिये बुमराह कई बार कलाइयों के इस्तेमाल के साथ बाउंसर करते हैं जो इस समय दुनिया के किसी भी तेज गेंदबाज की तुलना में सबसे खतरनाक होती है। ऐसी गेंदों में एक सीमित उछाल होता है और बल्लेबाज तय नहीं कर पाता कि वह गेंद को छोड़े या उस पर पुल करे। गेंद की गति इतनी तेज होती है कि बल्लेबाज को पर्याप्त समय नहीं मिल पाता और उससे टॉप एज का खतरा बढ़ जाता है। इतना ही नहीं, बुमराह की अंदर की ओर आती यॉर्कर गेंदें भी काफी खतरनाक होती हैं। इन-स्विंगिंग यॉर्कर गेंद पर ही उन्होंने ओवल टेस्ट की दूसरी पारी में जॉनी बेयरस्टो का विकेट लिया। यहां तक कि जो रूट को भी उन्होंने अपनी यॉर्कर गेंदों से परेशान किया जिसके बाद जो रूट उनके सामने दबाव में आ गये।

स्पीड के साथ कोई समझौता नहीं

साउथ अफ्रीका के स्पीडस्टर कागिसो रबाडा और इंग्लैंड के जोफ्रा आर्चर ऐसी गेंदों का इस्तेमाल खूब करते हैं और ऐसी गेंदों के लिए वे स्पीड के साथ कोई समझौता नहीं करते। फर्क इतना है कि बुमराह ऐसी गेंदों के इस्तेमाल के लिए अपनी बाजू को आगे की ओर बढ़ाते हैं जिससे उन्हें गेंद को लेट स्विंग करने में भी मदद मिलती है।

सबसे कम मैचों में सौ विकेट लेने वाले बने बुमराह

कभी बुमराह के लिए कहा जाता था कि वह सफेद गेंद से ही बढ़िया गेंदबाजी कर सकते हैं लेकिन विराट कोहली की पहल पर जब उन्हें टेस्ट में मौका मिला तो यहां भी बुमराह पूरी तरह से खरे उतरे। आलम यह है कि भारतीय तेज गेंदबाजों में सौ विकेट सबसे कम मैचों में पूरे करने वाले खिलाड़ी बन गये हैं। उन्होंने यह कमाल 24 टेस्टों में किया जबकि कपिलदेव को सौ विकेटों के लिए 25 टेस्ट खेलने पड़े थे। इरफान पठान को 28 मैच और मोहम्मद शमी को 29 मैचों तक इंतजार करना पड़ा था।

सीरीज से पहले पूरी तरह आउट आफ फॉर्म थे बुमराह

यही बुमराह इंग्लैंड के खिलाफ मौजूदा सीरीज से पहले पूरी तरह आउट आॅफ फॉर्म थे। वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल में और उससे पहले अहमदाबाद में इंग्लैंड के खिलाफ खेले टेस्ट में उन्हें कोई भी विकेट हासिल नहीं हुआ था। उन दिनों लोअर बैक की समस्या से उनकी परेशानी बढ़ गई थी। मगर अब वह पूरी तरह से फिट हैं। मौजूदा सीरीज में कई ऐसे मौके आये जब उन्हें दूसरे छोर पर साथ नहीं मिला। मोहम्मद शमी इंजर्ड हो गये। सीराज की स्विंग गायब हो गई। ईशांत को खराब फॉर्म की वजह से बाहर होना पड़ा और शार्दुल ठाकुर पर विराट का बहुत ज्यादा भरोसा नहीं था। अगर भरोसा होता तो उनसे चौथे दिन के 32 ओवर में गेंदबाजी जरूर कराई जाती लेकिन बुमराह ने ओवल टेस्ट में जिन दो गेंदों पर ओलि पोप और बेयरस्टो के विकेट लिये, वही निर्णायक साबित हुईं। जो रूट अपनी टीम की हार का सबसे बड़ा कारण बुमराह को ही मानते हैं।

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