रोहित रोहिला, चंडीगढ़:
पंजाब विधानसभा के बजट सत्र के पहले ही दिन सदन में कानून एवं वयवस्था को लेकर सदन हंगामा हुआ। जहां एक और इस मामले को लेकर विपक्ष ने एकजुटता दिखाते हुए बेल में आकर नारेबाजी की और अपना रोष व्यक्त किया। वहीं दूसरी और सत्ता पक्ष के विधायकों की ओर से इस विरोध के जवाब में विरोध जता कर जवाब दिया गया। कानून एवं व्यवस्था को लेकर बेल में जहां विपक्ष एकजुअ दिखाई दे रहा था। लेकिन जब कांग्रेंस के विधायक सदन से वाकआउट कर गए, लेकिन अकाली दल के कुद सदस्य वापिस आकर अपनी सीट पर बैठ गए। प्रश्न काल के दौरान भी विपक्ष की ओर से स्कूल और कुछ अन्य मुद्दों को लेकर कई बार घेरने की कोशिश की गई।
विधानसभा में जमकर हुआ हंगामा
प्रश्न काल के दौरान आप के विधायक बुधराम ने सवाल पूछा कि “दूसरे राज्य में पली बड़ी एससी लड़की शादी के बाद पंजाब में आकर रहती है तो उसे एससी के लाभ नहीं मिलते है।” इस पर मंत्री ने कहा कि “उसे उसके मूल राज्य से यह लाभ मिलेंगे।” इसके बाद प्रो. जसवंत सिंह ने जंगलात मंत्री से पूछा कि “नीम पीपल और कुछ अन्य पेड़ों की कटाई पर बैन है क्या।” इस पर मंत्री ने जवाब दिया कि “इन पेड़ों को काटने पर दो साल तक की सजा का प्रावधान है।” इसके अलावा टेल के पानी को लेकर भी सदन में सवाल जवाब हुए।
डॉ. चरणजीत ने स्कूलों में खाली पड़े पदों को लेकर सवाल पूछा। इस पर शिक्षा मंत्री गुरमीत मीत हेयर ने जवाब दिया कि “स्कूलों में खाली पड़े पदों को ट्रांसफर और सीधी भर्ती के द्वारा भरा जाएगा।” इस पर कांग्रेंस विधायक सुखपाल खैहरा ने सवाल उठाया कि “स्कूलों में काफी पद खाली पड़े है संगरूर उपचुनाव में सबसे ज्यादा धरने शिक्षकों के ही लगे थे।” इस पर मीत हेअर ने कहा कि “भर्ती प्रक्रिया का एक प्रोसेस होता है।” इस पर कांग्रेंस विधायक प्रताप बाजवा ने कहा कि “जब वह शिक्षा मंत्री थे तो उन्होंने 45 दिनों में पदों पर भर्ती कर दी थी।”
सीएम ने कसा तंज
कांग्रेंस विधायक प्रताप बाजवा ने कहा कि “देशभर में शिक्षा को लेकर पंजाब नंबर वन पर आया ही। लेकिन पंजाब सरकार इसे अपना नहीं रही है। पंजाब सरकार को इसे अपनाना चाहिए।” लेकिन इस पर सीएम ने तंज कसते हुए कहा कि “क्या स्कूलों के बाहर पेंट करने से स्मार्ट स्कूल बन जाते है। पीने का पानी कहां है इंफ्रास्टक्चर कहां है और शिक्षक कहां है।” सीएम ने कहा कि “इन स्कूलों को स्मार्ट स्कूल हामरी सरकार बना कर दिखाएगी।”
कांग्रेस के सदस्यों ने किया वाकआउट
एक घंटे के बाद शून्यकाल में विपक्ष सत्तापक्ष पर हावी दिखाई दिया। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस समेत भाजपा, अकाली दल और बहजन समाज पार्टी के नेताओं प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था पर सरकार को घेरा। सदन में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि “प्रदेश में आए दिन लूट, डकैती और कत्ल की वारदातें हो रही है, सरकार प्रदेश में लगातार बढ़ रही वारदातों को रोक पाने में नाकाम साबित रही है।” इस पर विपक्ष ने सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की थी, वह भी नहीं हो पाई। इसलिए कानून व्यवस्था की स्थिति पर सदन में बहस होनी चाहिए। इसकी स्पीकर इजाजत व विपक्ष को भरपूर समय दें ताकि स्थिति का पूर्ण आंकलन कर ठोस नीति पर काम हो सके और हालात को सुधारा जा सके।
बेल में आकर की नारेबाजी
अपनी बातों को सदन में समक्ष रखते हुए बाजवा समेत कांग्रेस के अन्य नेता वेल में आ गए और बहस कराने के लिए नारेबाजी करने लगे। इस पर अन्य विपक्षी दल भाजपा, अकालीदल और बसपा के नेता भी कानून व्यवस्था के मुद्दे पर कांग्रेस के साथ दिखाई और उनके प्रमुख नेता भी वेल में आ पहुंचे और नारेजाबी करते रहे। जब उनकी बात नहीं सुनी गई तो कांग्रेस के नेता नारेबाजी करते हुए सदन से वाकआउट कर गए, जब अन्य दल सदन में ही रहे। नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने कानून व्यवस्था पर बहस की मांग की। स्पीकर ने बाजवा से कहा कि “राज्यपाल के अभिभाषण पर पूरा टाइम मिलेगा। तब बहस हो जाएगी और इन इसका जवाब भी लेंगे। लेकिन विपक्ष बहस की मांग करता रहा।
जब गोलियां चलती है तो अनुभव रखा रह जाता है
स्पीकर ने बाजवा आए कहा कि आप अनुभवी नेता है इस न करे। बाजवा ने कहा शाम को जब गोलियां चलती है तो अनुभव यही रखा रह जाता है। बहस की मांग ठुकराए जाने पर समूचा विपक्ष वेल में आ गया और नारेबाजी शुरू हो गई। स्पीकर की इजाजत न मिलने पर बाजवा ने कहा कि “खुद सीएम ने कहा कि उन्हें भी धमकी आये है। जब सीएम सुरक्षित नही है फिर आम लोगो का क्या होगा।”
नेताओं ने कानून व्यवस्था पर सरकार को घेरा
बीजेपी के अश्वननी शर्मा ने भी स्पीकर से कहा “कानून यवस्था का बुरा हाल है। सीएम अगर खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे है तो जनता का क्या होगा।” कांग्रेस के सुखजिंदर रंधवा ने कहा कि “पंजाब सरकार पंजाब के हालात सभाल नहीं पा रही है।” सुखपाल खैहर ने कहा “सेशन का पहला दिन और जीरो ऑवर ही खत्म कर दिया।” काफी बहस के बाद जब स्पीकर ने बहस की मंजूरी नहीं दी।
अभिभाषण पर चर्चा के दौरान भी मुद्दा गूंजा
पंजाबी लोक गायक सिद्धू मूसेवाला की सुरक्षा कम किए जाने के मुद्दे पर पंजाब विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। पंजाब कांग्रेस प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने सरकार को इस मुद्दे पर घेरा। राज्यपाल के भासन पर जब आम आदमी पार्टी के विधायक अमन अरोड़ा चर्चा कर रहे थे तो उन्होंने कानून-व्यवस्था के मुद्दे को उठाया। कांग्रेस विधायक एवं प्रदेशाध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग सिद्धू मूसेवाला की हत्या के लिए मौजूदा सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि कांग्रेस की सरकार में मूसेवाला को दस सुरक्षा कर्मी मुहैया करवाए गए थे।
पंजाब में सत्ता संभालने वाली आम आदमी पार्टी की सरकार ने सस्ती वाहवाही लूटने के लिए पहले मूसेवाला के छह सुरक्षा कर्मी वापस लिए और फिर दो सुरक्षा कर्मी वापस ले लिए। इसके बाद सुरक्षा वापसी के बेहद गोपनीय दस्तावेज को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया। राजा वड़िंग ने कहा कि आईबी के इनुपट के बाद कांग्रेस सरकार ने मूसेवाला को सुरक्षा दी और उसी इनपुट की अनदेखी करते हुए आप सरकार ने सुरक्षा वापस ले ली। राजा वड़िंग ने कहा कि पंजाब में आए दिन हत्या, फिरौती मांगने की घटनाएं हो रही हैं। इस पर पलटवार करते हुए आप विधायक अमन अरोड़ा ने सदन में वर्ष 2013 से लेकर अब तक हुई अपराधिक घटनाओं पर आंकड़े पेश किए।