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Ukraine Russia War Continues : क्या रूस के कहर से "स्विफ्ट सिस्टम" बचाएगा यूक्रेन को?

Suman Tiwari • LAST UPDATED : February 26, 2022, 2:39 pm IST

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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Ukraine Russia War Continues: रूस और यूक्रेन के बीच जंग लगातार जारी है। रूस ने लगभग चारों तरफ से यूक्रेन को घेर रखा है। इस जंग की दुनिया के कई देश निंदा भी कर रहे हैं और साथ ही रूस पर यूक्रेन के खिलाफ जंग रोकने के लिए कई तरह की पाबंदियां भी लगाई जा चुकी हैं। वहीं यूक्रेन अनेक देशों से रूस को आर्थिक चोट देने के लिए स्विफ्ट के सिस्टम से बाहर निकालने की गुहार भी लगा रहा है। (Russia China USA VS Swift Transaction Ban) आइए जानते हैं कि क्या स्विफ्ट सिस्टम, इस सिस्टम से अलग होने पर रूस को क्या होगा नुकसान। 

क्या है स्विफ्ट सिस्टम? (What Is Swift System)

 Ukraine Russia War Continues

  • स्विफ्ट मतबल कि सोसाइटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्यूनिकेशन एक हाई सिक्योरिटी नेटवर्क है। इसकी स्थापना 1973 में हुई थी (Society for Worldwide Interbank Financial Telecommunication
    ) और इसका हेडक्वॉर्टर बेल्जियम के ला हल्पे में है। स्विफ्ट एक सिक्योर मैसेजिंग सिस्टम है, जिसका प्रयोग बैंक जल्द और सुरक्षित तरीके से सीमा पार भुगतान करने के लिए करते हैं, जिससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में सहूलियत होती है। स्विफ्ट का उपयोग बैंक मनी ट्रांसफर आर्डर या जानकारी भेजने और पाने में करते हैं। स्विफ्ट दुनिया भर के बैंकों को सुरक्षित संदेश और पेमेंट आर्डर भेजने के लिए लिंक करता है।
  • आपको बता दें कि सोसाइटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्यूनिकेशन (स्विफ्ट) पैसे को ट्रांसफर नहीं करता है, बल्कि ये पैसे के ट्रांसफर की जानकारी देता है, जिसे संबंधित बैंकों को सेटल करना होता है। स्विफ्ट के सदस्यों का इसमें कोई अकाउंट नहीं होता है। यह दो देशों के बैंकों के बीच फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन के संदेश को बेहद सुरक्षित तरीके से भेजता है।
  • स्विफ्ट प्लेटफॉर्म के जरिए 2021 में हर दिन औसतन 4.3 करोड़ ट्रांजैक्शन मैसेज भेजे गए, जिससे खरबों डॉलर का लेनदेन हुआ। स्विफ्ट के ट्रांजैक्शन मैसेज में पेमेंट, व्यापार और करेंसी एक्सचेंज के आॅर्डर और कन्फर्मेशन शामिल होते हैं। स्विफ्ट की निगरानी जी-10 देशों (बेल्जियम, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, नीदरलैंड, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, स्विट्जरलैंड और स्वीडन) के सेंट्रल बैंकों के साथ ही यूरोपीय सेंट्रल बैंक करता है।

कितने देशों के बैंक जुड़े हैं ‘ स्विफ्ट’ से? (Ukraine Russia War Continues)

अभी स्विफ्ट से रूस, अमेरिका समेत दुनिया के 200 देशों के 11 हजार बैंक और वित्तीय संस्थान जुड़े हैं। बैंक स्विफ्ट का यूज खासतौर पर देशों के बीच व्यापार से जुड़े लेनदेन की जानकारी देने में करते हैं। स्विफ्ट हर दिन खरबों डॉलर मूल्य के लेनदेन को सुविधाजनक बनाने में मदद करता है। स्विफ्ट लेनदेन फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के दायरे में आता है, 1989 में बना एफएटीएफ मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ लड़ाई के लिए बना है।

अगर रूस स्विफ्ट सिस्टम से हटता है, तो क्या नुकसान होगा?

  • रूस को अगर स्विफ्ट से हटाया गया तो इसका असर रूस की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। हालांकि, ऐसा तभी होगा, अगर उसे लंबे समय के लिए इस सिस्टम से हटाया जाएगा। ऐसा होने पर रूसी कंपनियों और व्यक्तियों के लिए आयात का भुगतान करना और निर्यात के लिए पैसा पाना, विदेश से उधार लेना या बाहर निवेश करना मुश्किल हो जाएगा।
  • स्विफ्ट से हटाए जाने से रूस की ग्लोबल ट्रेड में हिस्सेदारी पर असर पड़ेगा और उसे विदेश से पैसा पाने में दिक्कत होगी। रूस पर इस बैन का सबसे ज्यादा असर उसके तेल और गैस से मिलने वाले प्रॉफिट पर पड़ेगा, जिसका रूस की कमाई में 40 फीसदी तक योगदान है। 2012 में ईरान को जब स्विफ्ट से हटाया गया था, तो उसकी तेल से कमाई आधी रह गई थी और विदेशी व्यापार की कमाई का 30 फीसदी हिस्सा गंवा दिया था।
  • 2014 में रूसी वित्त मंत्री एलेक्सी कुद्रिनो ने अनुमान लगाया था कि अगर रूस स्विफ्ट से बाहर होता है तो उसकी जीडीपी में पांच फीसदी तक गिरावट आ सकती है। हालांकि, तब रूस पर बैन नहीं लगा था। 2020 में स्विफ्ट के कुल ट्रांजैक्शन में रूस की हिस्सेदारी 1.5 फीसदी थी।

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क्या रूस ने स्विफ्ट से निपटने की तैयारी की है? (Ukraine Russia War Continues)

  • अगर रूस के स्विफ्ट के उपयोग पर रोक लगती है तो रूस पेमेंट के दूसरे तरीकों का उपयोग कर सकता है। रूस ने स्विफ्ट के संभावित बैन से निपटने की तैयारी 2014 में ही शुरू कर दी थी। 2014 में क्रीमिया पर हमले के बाद रूस के ऊपर पश्चिमी देशों ने आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे। 2014 में रूस ने स्विफ्ट के विकल्प के तौर पर अपना फाइनेंशियल ट्रांसफर प्लेटफॉर्म एसपीएफएस विकसित किया था।
  • सेंट्रल बैंक आफ रशिया के मुताबिक, एसपीएफएस से 400 वित्तीय संस्थान जुड़ चुके हैं, जिनमें से ज्यादातर बैंक हैं। 2020 तक आर्मेनिया, बेलारूस, जर्मनी, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और स्विट्जरलैंड के भी 23 विदेशी बैंक एसपीएफएस के नेटवर्क से जुड़ चुके थे। अब रूस अपने घरेलू लेनदेन का करीब 20 फीसदी एसपीएफएस के जरिए करता है।
  • हालांकि रूसी सिस्टम स्विफ्ट जितना तेज नहीं है और इससे ट्रांजैक्शन भी महंगा है। एक बड़े रूसी बैंक वीटीबी ने हाल ही में कहा था कि स्विफ्ट के इस्तेमाल पर बैन लगने पर रूस पेमेंट के दूसरे चैनलों, जैसे- फोन, मैसेजिंग ऐप्स या ईमेल का इस्तेमाल करेगा। एक और संभावना यह है कि रूस उन देशों के जरिए पेमेंट कर सकता है, जिनसे उसकी दुश्मनी नहीं है और जिन्होंने प्रतिबंध नहीं लगाए हैं। रूस भुगतान के लिए क्रिप्टोकरेंसी जैसे विकल्प का भी सहारा ले सकता है। ऐसा होने से अमेरिकी डॉलर का ग्लोबल रिजर्व करेंसी के तौर पर दर्जा घटेगा।

क्या रूस लेगा चीन की मदद?

  • कहा जा रहा है कि अगर पश्चिमी देश रूस पर स्विफ्ट के इस्तेमाल पर रोक लगाते हैं तो वह चीन की मदद ले सकता है। चीन के पास स्विफ्ट के विकल्प के तौर पर अपना क्रॉस-बॉर्डर इंटरबैंक पेमेंट सिस्टम (जीआईपीएस) है। रूस स्विफ्ट उपयोग पर बैन लगने पर चीन के जीआईपीएस के जरिए पेमेंट की राह चुन सकता है। अगर रूस ने ऐसा किया तो ये पश्चिमी देशों के लिए झटका होगा, क्योंकि इससे चीन के जीआईपीएस को बढ़ावा मिलेगा।

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अब तक रूस पर क्यों नहीं लगी “स्विफ्ट” की रोक?  (Ukraine Russia War Continues)

  • अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूस पर स्विफ्ट सिस्टम के उपयोग पर रोक लगाने को लेकर कहा है कि ऐसा करना हमेशा से एक विकल्प है, लेकिन फिलहाल यूरोपीय देश ऐसा नहीं करना चाहते हैं। रूस पर स्विफ्ट के यूज पर बैन लगाने से सबसे ज्यादा नुकसान अमेरिका और जर्मनी को होगा। इन दोनों देशों के बैंक रूसी बैंकों के साथ कम्यूनिकेशन के लिए स्विफ्ट का यूज सबसे ज्यादा करते हैं। (Ukraine Russia War Continues)
  • अमेरिकी राष्ट्रपति जानते हैं कि स्विफ्ट बैन से रूस को जितना नुकसान होगा, उतना ही नुकसान अमेरिका के सहयोगी देशों को भी होगा। इसलिए वे रूस पर इस बैन को लगाने के पक्ष में नहीं हैं। रूस यूरोप का सबसे बड़ा तेल और गैस सप्लायर है। ऐसे में अगर रूस के लिए स्विफ्ट पर बैन लगा तो ये सप्लाई प्रभावित होगी, जिससे यूरोपीय देशों में ऊर्जा संकट पैदा हो सकता है।
  • रूस नीदरलैंड और जर्मनी जैसे देशों में बने सामानों का सबसे बड़ा खरीदार है। रूस पर स्विफ्ट बैन से इन देशों का निर्यात प्रभावित होगा। नीदरलैंड और जर्मनी रूस पर स्विफ्ट बैन लगाने के पक्ष में नहीं हैं। रूस को स्विफ्ट से हटाने से यूरोपीय लेनदारों के लिए रूसी देनदारों और बैंकों से पैसा वापस पाना मुश्किल हो जाएगा।
  • बैंक आफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स मुताबिक, यूरोपीय कर्जदाताओं का रूस को विदेशी बैंकों से मिलने वाले करीब 30 अरब डॉलर (2.2 लाख करोड़ रुपए) में एक बड़ा हिस्सा है। बता दें कि अगर रूस पर स्विफ्ट उपयोग को लेकर रोक लगती है तो यूरोप देश में गैस-तेल सप्लाई बाधित हो सकती है। वहीं यूरोपीय लेनदारों के लिए रूसी देनदारों से रुपया पाना बहुत मुश्किल हो जाएगी।

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