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पटियाला जेल में नवजोत सिंह सिद्धू को मिली नई पहचान, एक साल तक कैदी नंबर 241383 से जाने जाएंगे

India News Desk • LAST UPDATED : May 21, 2022, 12:23 am IST

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इंडिया न्यूज, चंडीगढ़:
शुक्रवार को कांग्रेस नेता और पंजाब के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने पटियाला कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। लगभग 34 साल पहले के रोडरेज मामले सिद्धू को एक साल की सजा सुनाई गई है। सिद्धू के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी कि सिद्धू को सरेंडर के लिए कम से कम एक सप्ताह का समय दिया जाए। लेकिन कोर्ट ने मामले पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया था। जिसके बाद सिद्धू को कोर्ट में सरेंडर करना पड़ा और जेल जाना पड़ा। पटियाला की जेल में नवजोत सिंह सिद्धू को कैदी नंबर 241383 मिला है।

पटियाला जेल में नवजोत सिंह सिद्धू को मिली नई पहचान, एक साल तक कैदी नंबर 241383 से जाने जाएंगे

साथ ही सिद्धू को जेल में एक कुर्सी, मेज, दो पगड़ी, एक अलमारी, एक कंबल, एक बेड, तीन अंडरवियर और बनियान, दो टॉवल, एक मच्छरदानी, एक कॉपी पेन, एक शूज की जोड़ी, दो बेडशीट, चार कुर्ते पजामे और दो सिरहाने का कवर मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानकर सिद्धू शुक्रवार शाम 4 बजे पटियाला जेल पहुंच गए। उनका बाकी का 1 साल अब जेल में ही गुजरेगा।

पार्किंग के लिए हुई कहासुनी हाथापाई तक पहुंची

मामला साल 27 दिसंबर 1988 का है। जब नवजोत सिंह सिद्धू शाम के समय अपने दोस्त रूपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरावाले गेट मार्केट गए थे। तभी मार्केट में 65 साल के गुरनाम सिंह से पार्किंग की वजह से उनकी कहासुनी हो गई। देखते ही देखते यह कहासुनी मारपीट तक पहुंच गई। मारपीट में सिद्धू ने घुटना मारकर गुरनाम सिंह को नीचे गिरा दिया था। जख्मी हालत में उनको हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी। सिद्धू के खिलाफ पंजाब के पटियाला जिला में FIR दर्ज हुई। 22 सितंबर 1999 को पटियाला के ट्रायल कोर्ट ने सिद्धू और उनके दोस्त संधू को बरी कर दिया था।

34 साल बाद आया फैसला

पटियाला के ट्रायल कोर्ट के बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा। हाईकोर्ट ने सिद्धू और संधू को IPC सेक्शन 304 II के तहत दोषी ठहराया था और दोनों को 3-3 साल की सजा सुनाई गई और एक-एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था। 2007 में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई। सुप्रीम कोर्ट में सिद्धू का केस बीजेपी के दिवंगत नेता अरुण जेटली ने लड़ा था। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई और सिद्धू और संधू को बरी कर दिया। तब कोर्ट ने गुरनाम को चोट पहुंचाने के लिए सिद्धू पर 1000 रुपए का जुर्माना लगाया। इसी साल सिद्धू अमृतसर से चुनाव लड़े और जीते।

लेकिन पीड़ित परिवार इस सजा से संतुष्ट नहीं हुआ। परिवार ने सितंबर 2018 में कहा कि यह सजा कम है। परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। जिसपर कोर्ट सुनवाई के लिए राजी हो गया। फिर 25 मार्च 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रखा और 19 मई को सिद्धू को रोड रेज के मामले में एक साल की सजा सुनाई।

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ये भी पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले को वाराणसी कोर्ट में किया ट्रांसफर, जानें जिला जज के बारे में क्या कहा? 

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