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सुंदर जैसे खिलाड़ी असली हीरो

Prachi • LAST UPDATED : August 31, 2021, 6:50 am IST

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योगेश कुमार सोनी

मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है,
पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है
बहुत कहानियां हैं,बहुत किस्से है बताने के लिए लेकिन कुछ घटनाओं पर लिखने व पढ़ने पर इतना जूनून आ जाता है कि बहुत कुछ करने का मन करता है। कुछ लोग जिंदगी में ऐसा कर जाते हैं जिससे लगता है कि इंसानी जिंदगी में सब कुछ करने में सक्षम है। हाल ही में देश के एक और जांबाज खिलाडी ने देश का नाम रोशन किया है। पैरालंपिक खिलाड़ी सुंदर सिंह गुर्जर ने जापान के टोक्यो में 64.01 मीटर जेवलिन थ्रो कर ब्रॉन्ज मेडल जीता। सुंदर की इस सफलता से देशभर में खुशी का माहौल है। इस बार तमाम खिलाडियों ने कई कैटेगरी में खिताब अपने नाम किए जिससे दुनिया भर भारत परचम लहराया है। सरकार के साथ देश की जनता ने भी सभी खिलाडियों को सम्मान देते हुए प्यार दिया है लेकिन सुंदर जैसे खिलाडी तो उन लोगों के लिए आइडियल बन जाते हैं जो बहुत जरा सी बात पर निराश होकर अपना जीवन को बेरस व बेबस मान लेते हैं। वर्ष 2016 में एक दुर्घटना सुंदर का करियर खत्म होने की कगार पर आ गया था। दरअसल मामला यह था कि एक दिन सुंदर अपने दोस्त के घर गए थे, जहां आंधी में घर के आगे लगी टीन शेड उड़कर सुंदर के ऊपर आ गिरी थी और उसके गिरने से उनका बायां हाथ कट गया था जिस वजह से वह ओलिंपिक में भाग नहीं ले पाए थे। इस घटना के बाद उनके परिवार,दोस्त व साथी खिलाडियों ने मान लिया था कि अब सुंदर का करियर खत्म हो गया लेकिन सुंदर ने अपने हाथ कटने को अपनी हार नही बल्कि जूनून के साथ अपने आपको और अधिक आक्रामक करके इस तरह तैयार किया कि वह पहले ज्यादा बेहतर खिलाडी बनकर उभरे। अपनी कडी मेहनत की वजह से वह पैरालिंपिक गेम्स के लिए क्वालिफाई कर गए। सुंदर को सिर्फ जेवलिन नहीं बल्कि डिस्कस थ्रो और शॉटपुट में भी सबसे बेहतर खिलाडी माना जाता हैं । 2017 में ह्यफाज आईपीसीह्ण एथलेटिक्स ग्रां प्री में तीनों स्पोर्ट्स में गोल्ड मेडल जीतकर स्वर्णीम अध्याय लिख डाला था व अब मेडल जीतकर उन्होंने अपने सपनों को पूरा किया। यदि सुंदर के नेशनल रिकार्ड पर चर्चा करें तो वह हाथ कटने के बाद एफ-46 जेवलिन थ्रो कैटेगरी में भाग लेने लगे थे। इस कैटेगरी में भाला फेंकने का विश्व रिकार्ड 63.97 मीटर था लेकिन उन्होनें 70 मीटर फेंक कर अपने नाम विश्व रिकार्ड अपने नाम किया। शरीर का कोई भी अंग भंग होने से शारीरिक व मानसिक शक्ति बहुत कम हो जाती है। ऐसी घटना से ग्रस्त किसी आम आदमी तक का भी कुछ करना तो दूर जिंदगी जीने तक के लिए आत्मविश्वास खत्म हो जाता है लेकिन सुंदर ने जिस तरह अपने शरीर के साथ मन को मजबूत करते हुए यह साबित कर दिया कि मन के हार हार व मन के जीते जीत जो बेहद प्रशंसनीय है। आज करोडों लोगों के सुंदर बहुत बडी मिसाल व प्रेरणास्रोत बन गए है। सुंदर ने उन लोगों को विश्वास दिया है जो किसी भी घटना के शिकार होकर अपने जीवन से निराश होकर हार मान लेते हैं। किसी भी खिलाडी को बेहतर बनने के लिए बहुत मेहनत करनी होती है चूंकि खेल में आप केवल अपने प्रदर्शन के आधार पर ही कामयाबी पा सकते हो लेकिन सुंदर जैसे खिलाडी की मेहनत को हम तपस्या इसलिए मान सकते हैं चूंकि ऐसे लोग शारीरिक रुप से मजबूत होने के साथ मानसिक रुप से भी मजबूती के लिए अतिरिक्त मेहनत करते हैं। आज युग में लोग जरा सी परेशानी से डिप्रेशन के शिकार होकर आत्महत्या जैसे घिनौने कृत्य करके मानव जीवन को शर्मसार करते हैं। भारत में पिछले दो दशकों में डिप्रेशन व अन्य कारणों की वजह से आत्महत्या के मामलें में इजाफा आश्चर्यचकित व परेशान करता है। आखिर ऐसी क्या वजह कि लोग चुनौतियों ले लडना भूल गए। हम बचपन से सुनते व देखते आए हैं कि सुख-दुख जीवन का एक हिस्सा है। खुशियां हैं तो परेशानी भी हैं इसलिए डटकर लडते रहना ही असल जिंदगी है। दिव्यांग खिलाडी खेल खेलते हैं। ब्लाइंड खिलाजी दुनिया देख नही सकते लेकिन वह दुनिया वो रंग दिखा देते हैं जिसमें बहुत कुछ छिपा रहता है। इंसान चाहे तो वह किसी भी कमजोरी व परेशानी को अपने पर हावी नही होने दे सकता चूंकि इंसान ही मात्र है जीव है जो हर चीज में निपुण है इसलिए इसे व्यर्थ न करें। हमारे पास कुछ न करने की बहुत बहाने होते हैं लेकिन जब कुछ करने की वजह बन जाती है तो सफलता को कोई नही रोक सकता। हमारे देश में इसके बहुत सारे उदाहरण है। सुंदर जैसे लोग हमारी ताकत व मिसाल के रुप में हमेशा प्रेरित करते रहेंगे। हम ऐसे खिलाडी को दिल से सलाम करते हैं। उम्मीद है कि युवा खिलाडी सुंदर को अपना आइडियल मानकर देख के लिए मेडल लाकर नाम रोशन करेंगे।

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