इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Pegasus Case पेगासस प्रकरण पर न्यूयार्क टाइम्स ने खुलासा किया है कि यह खुफिया सॉफ्टवेयर 2017 में भारत ने अपने मित्र देश इजरायल से खरीदा था। मामला सार्वजनिक होते ही कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियों ने मोदी सरकार पर हमला बोल दिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तो मोदी सरकार को देशद्रोही तक कह दिया है। हालांकि पेगसस केस सुप्रीम कोर्ट में विचारधीन है।
राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि मोदी सरकार ने हमारे लोकतंत्र की प्राथमिक संस्थाओं, राज नेताओं व जनता की जासूसी करने के लिए पेगासस खरीदा था। फोन टैप करके सत्ता पक्ष, विपक्ष, सेना, न्यायपालिका सब को निशाना बनाया है, ये देशद्रोह है। मोदी सरकार ने देशद्रोह किया है।
क्या है ये पेगासस मामला और कैसे काम करता है ये सॉफ्टवेयर, भारत में किन लोगों की इस सॉफ्टवेयर से जासूसी की गई है आदि तमाम तरह के सवाल हैं जिनके बारे में हम विस्तार से बता रहे हैं
कब हुआ था Pegasus मामले का खुलासा Pegasus Case
जुलाई 2021 में मीडिया समूहों के एक ग्लोबल ग्रुप ने खुलासा किया था कि दुनिया की कई सरकारों ने अपने विरोधियों और पत्रकारों की जासूसी करने के लिए स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया था। भारत में भी कुछ प्रमुख लोगों की जासूसी का मामला जोर शोर से उठा था। हालांकि भारत सरकार इससे इंकार करती रही है। लेकिन ये मामला सुप्रीम कोर्ट में अभी विचाराधीन है। जासूसी मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी का गठन किया हुआ है।
Pegasus एक जासूसी सॉफ्टवेयर का नाम है। इस सॉफ्टवेयर को इजरायली कंपनी ठरड ॠ१ङ्म४स्र ने बनाया है। जासूसी होने के कारण इसे स्पाईवेयर भी कहा जाता है।
Pegasus सॉफ्टवेयर टारगेट के फोन में जाकर डेटा लेकर इसे सेंटर तक पहुंचाता है। इससे एंड्रॉयड और आईओएस दोनों को टारगेट किया जा सकता है। फोन में जैसे ही ये सॉफ्टवेयर इंस्टॉल होता है, उसके तुरंत बाद वह फोन सर्विलांस डिवाइस के तौर पर काम करने लगता है। फोन की खामी का फायदा उठा पेगासस को इंस्टॉल किया जाता है। इसके लिए कई तरीकों का यूज किया जाता है।
Pegasus बनाने वाली इजरायली कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक इसके सिंगल लाइसेंस के लिए 70 लाख रुपए तक खर्च करने पड़ते हैं। इसे सिर्फ सरकारों को ही बेचा जाता है। आरोप है कि भारत में इसके लगभग 5 से 6 लाइसेंस हैं। इसके जरिए ग्लोबली 50,000 से ज्यादा फोन को टारगेट किया जा चुका है। इसमें 300 भारतीय भी हैं।
भारत में जिन लोगों जासूसी की गई थी उनमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी, राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर, तत्कालीन चुनाव आयुक्त अशोक लवासा के साथ 40 से ज्यादा पत्रकारों के नाम शामिल थे। पिछले साल जुलाई 2021 में मीडिया समूहों के एक ग्लोबल ग्रुप ने खुलासा किया था कि दुनिया की कई सरकारों ने विरोधियों और पत्रकारों की जासूसी करने के लिए स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया था।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ही नहीं, अमेरिकी जांच एजेंसी फेडरल ब्यूरो आॅफ इन्वेस्टिगेशन (FBI) ने भी यह सॉफ्टवेयर खरीदा था। FBI ने घरेलू निगरानी के लिए सालों तक इसकी टेस्टिंग भी की लेकिन पिछले साल इसका इस्तेमाल नहीं करने का फैसला किया है।
इनके अलावा सऊदी ने शाही परिवार के आलोचक रहे पत्रकार जमाल खशोगी और उनके सहयोगियों के खिलाफ इसका इस्तेमाल किया। वहीं मेक्सिको सरकार ने पत्रकारों और विरोधियों के खिलाफ जासूसी करवाई। हालांकि रिपोर्ट में बताया गया है कि इजराइली रक्षा मंत्रालय ने पोलैंड, हंगरी और भारत जैसे कई देशों में पेगासस के इस्तेमाल की मंजूरी दी थी।
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