इंडिया न्यूज़, Patiala News (Medical Negligence) : मेडिकल नेगलिजेंस जिसे आम भाषा में कहें तो इलाज के दौरान लापरवाही करना। इस पर अब सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। दरअसल मामला कुछ ऐसा था कि पटियाला की एक 47 वर्षीय महिला की पित्ताशय की पथरी को हटाने के लिए एक सर्जरी के बाद मौत हो गई थी। इस घटना पर अठारह साल बाद, सुप्रीम कोर्ट ने पटियाला के एक डॉक्टर को ‘चिकित्सकीय लापरवाही’ के लिए दोषी ठहराते हुए परिवार के लिए 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है।
यह देखते हुए कि यह ‘निश्चित रूप से सेवाओं में कमी के कारण चिकित्सा लापरवाही का मामला था, अदालत ने पटियाला में प्रीत सर्जिकल सेंटर और मातृत्व अस्पताल चलाने वाले लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ गुरमीत सिंह को मुआवजे का भुगतान करने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘सबूत, मेडिकल आधार और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की आचार समिति की रिपोर्ट की जांच करने के बाद, हमने निष्कर्ष निकाला है कि चिकित्सा में लापरवाही के लिए डॉक्टर के खिलाफ सेवा में कमी का मामला बनता है
हालांकि, अदालत ने कहा कि दयानंद मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (डीएमसीएच), लुधियाना के सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ अतुल मिश्रा को किसी भी चिकित्सा लापरवाही का दोषी नहीं पाया गया, जहां मरीज की हालत बिगड़ने के बाद उसे इलाज के लिए पटियाला अस्पताल ले जाया गया था।
चिकित्सीय लापरवाही’ को एक चिकित्सक द्वारा रोगी के अनुचित या अकुशल उपचार के रूप में परिभाषित कर सकते हैं। इसमें नर्स, चिकित्सक, सर्जन, फार्मासिस्ट, या किसी अन्य चिकित्सक की देखभाल में लापरवाही शामिल है। जैसे कोई गलत तरीके से दवा देना, गलत ढंग से सर्जरी करना, गलत मेडिकल गाइडेंस देना, सर्जरी के समय मरीज को नुकसान पहुंचाना अदि ये सभी मेडिकल नेगलिजेंस के अंतर्गत आते है।
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