पूर्व कानून मंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण का निधन

Former law minister and senior advocate Shanti Bhushan passed away: पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री और वकील शांति भूषण का मंगलवार को 97 वर्ष की आयु में निधन हो गया। भूषण ने 1977 से 1979 तक आपातकाल के बाद सत्ता में आई मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली जनता पार्टी सरकार में कानून मंत्री के रूप में कार्य किया। भूषण 2012 में बनी आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से थे। हालाँकि, पार्टी के गठन के दो साल के भीतर ही आप संयोजक अरविंद केजरीवाल के साथ उनका मतभेद हो गया। 2014 में, भूषण ने केजरीवाल पर उनके संगठनात्मक नीतियों पर सवाल उठाते हुए उनसे दूरी बना ली। बाद में उनके बेटे प्रशांत भूषण को भी आम आदमी पार्टी ने निष्कासित कर दिया। 

पीएम ने वयक्त की संवेदना 

पूर्व कानून मंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण के निधन की जानकारी के बाद पीएम ने ट्वीट कर संवेदना वयक्त की है। उन्होंने लिखा “उन्हें कानूनी क्षेत्र में उनके योगदान और वंचितों के लिए बोलने के जुनून के लिए याद किया जाएगा। उनके निधन से दुखी हूं।”

शीर्ष अदालत को चुनौती

वरिष्ठ अधिवक्ता के तौर पर भूषण लंबे समय तक सर्वोच्च न्यायालय में अपनी सेवा दी।  2018 में, उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा शीर्ष अदालत में मामलों के आवंटन के रोस्टर अभ्यास को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था। अपनी याचिका में, भूषण ने तर्क दिया था कि “मास्टर ऑफ द रोस्टर एक अनियंत्रित और बेलगाम विवेकाधीन शक्ति नहीं हो सकती है जो मनमाने ढंग से चुनिंदा न्यायाधीशों को मामलों का आवंटन करती है।” शीर्ष अदालत ने बाद में फैसला सुनाया कि CJI ‘मास्टर ऑफ द रोस्टर’ है और उसके पास शीर्ष अदालत की विभिन्न बेंचों को मामले आवंटित करने का अधिकार है।

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