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Electric Scooters Fire Incidents : जानिए, किन जगहों पर लगी इलेक्ट्रिक स्कूटरों में अचानक आग, क्या है वजह?

Suman Tiwari • LAST UPDATED : April 2, 2022, 5:07 pm IST

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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Electric Scooters Fire Incidents : पिछले सप्ताह ओला, ओकीनावा और प्योर कंपनियों के इलेक्ट्रिक स्कूटरों में लगी आग चर्चा का विषय बनी हुई है। 25 मार्च के बाद देश में करीब चार जगह चार इलेक्ट्रिक स्कूटरों में आग लगने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इससे इलेक्ट्रिक वाहनों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए हैं। उधर मामले को गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने इलेक्ट्रिक स्कूटरों में आग लगने की घटना के जांच के आदेश दे दिए हैं। तो आइए जानते हैं इलेक्ट्रिक स्कूटरों में क्या है आग लगने की वजह।

किन ई-स्कूटरों में लगी आग? (Electric Scooters Fire Incidents)

  • ओला, ओकीनावा और प्योर कंपनियों के इलेक्ट्रिक स्कूटरों में आग लगने की वास्तविक वजह का अभी पता नहीं चल पाया है। इन स्कूटरों से जुड़ी कंपनियों ने कहा है कि वे मामले की जांच कर रही हैं।
  • तमिलनाडु में ओकीनावा के ई-स्कूटर में आग लगने के बाद कंपनी ने कहा कि उसके प्राथमिक आकलन मुताबिक, स्कूटर में आग लगने की वजह चार्जिंग में लापरवाही के कारण हुआ शॉर्ट-सर्किट है। वहीं ई-स्कूटरों में आग लगने की कई वजहें हो सकती हैं, जिनमें मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट, बाहरी डैमेज या इटर में कमी से इन बैटरियों में आग लगने का खतरा पैदा हो सकता है।
  • इलेक्ट्रिक वाहनों के निमार्ता इन बैटरियों को बड़ी संख्या में चीन से आयात करते हैं, जहां से खराब इटर क्वॉलिटी वाली बैटरियां आती हैं, जिससे बैटरियां में आग लगने समेत कई दिक्कतें आती हैं। एक रिपोर्ट मुताबिक, चीन 2021 में दुनिया में लिथियम-आॅयन बैटरियों का सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरर था और इस दौरान दुनिया की 79 फीसदी लिथियम-आॅयन बैटरियां चीन में बनाई गईं।
  • कहा जाता है इसकी वजह थर्मल रनअवे है। थर्मल रनअवे प्रक्रिया बैटरी में ज्यादा तापमान की वजह से शुरू होती है। ये तब होती है, जब बैटरी के अंदर पैदा हुआ टेंपरेचर उसके आसपास के टेंपरेचर से ज्यादा हो जाता है, इससे और एनर्जी रिलीज होती है जो टेंपरेचर को और बढ़ा देती है, जिससे बैटरी में आग लग जाती है।

इन जगहों पर ई-स्कूटरों पर लगी आग (Electric Scooters Fire Incidents)

Electric Scooters Fire Incidents

  • पहली घटना: 25 मार्च को तमिलनाडु के वेल्लोर जिले में हुई, जब ओकीनावा कंपनी के ई-स्कूटर को रात में चार्जिंग के लिए छोड़ देने के बाद अचानक उसमें आग लग गई। इससे एक 45 वर्षीय व्यक्ति और उसकी 13 वर्षीय बेटी की दम घुटने से मौत हो गई। पुलिस ने शुरूआती जांच में आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट को बताया।
  • दूसरी घटना: 26 मार्च को पुणे में हुई, जहां ओला के एस1 प्रो इलेक्ट्रिक स्कूटर में अचानक आग लग गई, इसका वीडियो आनलाइन वायरल हुआ था। ओला र1 प्रो को कंपनी ने पिछले साल लॉन्च किया था।
  • तीसरी घटना: 28 मार्च को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली जिले के मणप्पराई में हुई, जहां ओकीनावा के ई-स्कूटर में आग लगने की घटना सामने आई।
  • चौथी घटना: 30 मार्च को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में हुई, जहां हैदराबाद के स्टार्टअप प्योर के लाल रंग के ई-स्कूटर में आग लगने की घटना सामने आई।

क्यों लगी ई-स्कूटरों में आग?

  • भारत जैसे देश में जहां तापमान 45 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच जाता है, वहां थर्मल रनअवे की वजह से बैटरियों का टेंपरेचर 90-100 डिग्री तक पहुंच सकता है, जिससे आग लगने की आशंका बढ़ जाती है। भारत के मौसम को ध्यान में रखकर डिजाइन नहीं करने और विदेशों से आयात बैटरियों की वजह से आग लगने जैसी समस्याएं सामने आती हैं।
  • वहीं अभी तक इन ई-स्कूटरों में आग लगने की वजह नहीं पता चल पायी है, लेकिन रिपोर्ट्स मुताबिक, इसकी सबसे प्रमुख वजह है इन स्कूटरों की बैटरियां। दरअसल, इनमें से ज्यादा ई-स्कूटरों में आग लगने के बाद उनकी बैटरियों से धुएं के उठते गुबार ने बैटरी की वजह से आग लगने की आशंकाओं को बल दिया।

ई-स्कूटरों में कौन सी बैटरियां लगती हैं?  (Electric Scooters Fire Incidents)

Electric Scooters Fire Incidents

  • ई-स्कूटरों में लिथियम-आयन बैटरियों का इस्तेमाल होता है। आजकल दुनियाभर में स्मार्टफोन से लेकर लैपटॉप और इलेक्ट्रिक कार से लेकर स्मार्टवॉच तक में इन्हीं बैटरियों का इस्तेमाल हो रहा है। ये बैटरियां अन्य बैटरियों की तुलना में ज्यादा ताकतवर और हल्की माना जाती हैं। हालांकि, इन बैटरियों से आग लगने का भी खतरा रहता है, जैसा कि ई-स्कूटरों में हाल के दिनों में नजर आया है।
  • बताया जाता है कि लिथियम-आयन बैटरियों को अन्य बैटरियों की तुलना में बेहतर बनाती हैं, वे हैं उसका हल्का होना, हाई एनर्जी डेंसिटी और रिचार्ज करने की क्षमता। इसके साथ ही लिथियम-आयन बैटरियां लेड एसिड बैटरियों की तुलना में ज्यादा लंबे समय तक चलती हैं। एक लिथियम-आयन बैटरी आमतौर पर 150 वॉट-आवर्स प्रति किलोग्राम स्टोर कर सकती है जबकि लेड-एसिड बैटरी आमतौर पर करीब 25 वॉट-आवर्स प्रति किलोग्राम स्टोर कर सकती है। बैटरी में स्टोर हो सकने वाली एनर्जी को उसकी पावर कैपेसिटी कहते हैं। इससे बैटरी की क्षमता मापते हैं। इस पावर को आमतौर पर वॉट-ऑवर में व्यक्त करते हैं।
  • आप अगर वॉट-ऑवर को सीधे शब्दों में समझें तो एक लीथियम-आॅयन की एक किलोग्राम बैटरी में 150 वॉट-आवर की इलेक्ट्रिसिटी स्टोर हो सकती है। वहीं एक लेड-एसिड बैटरी की एक किलोग्राम बैटरी 25 वॉट-आॅवर की इलेक्ट्रिसिटी ही स्टोर कर सकती है। यानी जितनी इलेक्ट्रिसिटी 1 किलोग्राम की लिथियम-आर्यन बैटरी स्टोर कर सकती है, उतनी एनर्जी के लिए एसिड-लेड बैटरी की 6 किलोग्राम बैटरी की जरूरत पड़ेगी।
  • इसका मतलब है कि लिथियम-आर्यन बैटरियां अन्य बैटरियों की तुलना में ज्यादा एफिशिएंट होती हैं। यानी लिथियम-आर्यन बैटरियों से लैस इलेक्ट्रिक कार या स्कूटर को ज्यादा समय तक ड्राइव किया जा सकता है। वहीं, स्मार्टफोन में इन बैटरियों के इस्तेमाल से उसकी बैटरी लगभग पूरे दिन टिकेगी। (Electric Scooters Fire Incidents)
  • लिथियम-आर्यन बैटरियों की सबसे बड़ी खासियत हाई एनर्जी डेंसिटी है, यानी आम बैटरियों से ज्यादा एनर्जी। लेकिन यही बैटरी में खराबी की वजह भी हो सकती है। इन बैटरियों की हाई एनर्जी डेंसिटी का मतलब है कि ये सेल कुछ परिस्थितियों में अस्थिर हो सकते हैं, जो इसकी कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकते हैं।
  • एक्सपर्ट्स का मानना है कि लिथियम-आर्यन बैटरियां एक सुरक्षित आॅपरेटिंग लिमिट के अंदर सबसे अच्छे से काम करती हैं। इन बैटरियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम यानी बीएमएस होता है।

बीएमएस क्या है? (Electric Scooters Fire Incidents)

 

  • बीएमएस एक इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम है, जो लिथियम-आयन बैटरी पैक में हर सेल से जुड़ा होता है। बीएमएस लगातार बैटरी के वोल्टेज और उसमें फ्लो होने वाले करंट को मापता रहता है। साथ ही बीएमएस कई टेंपरेचर सेंसर से लैस होता है, जो इसे बैटरी पैक के विभिन्न सेक्शन में टेंपरेचर के बारे में जानकारी देता है। यह सारा डेटा बीएमएस को बैटरी पैक के अन्य पैरामीटर्स की कैलकुलेशन में मदद करता है, जैसे चार्जिंग और डिस्चार्जिंग रेट, बैटरी लाइफ साइकिल और एफिशिएंसी। बीएमएस अगर ठीक से काम न करे तो बैटरी में आग लगने जैसी घटनाएं संभव हैं।

इस तरह रखें ई-व्हीकल का ध्यान?

कुछ बातों का ख्याल रखकर कंज्यूमर्स काफी हद तक आग लगने जैसे खतरे टाल सकते हैं। नमी चार्जर और बैटरी दोनों के लिए खतरनाक है, इसलिए अपने इलेक्ट्रिक व्हीकल को इससे बचाएं। इलेक्ट्रिक व्हीकल को केवल इलेक्ट्रिक व्हीकल मेकर की ओर से रेकमेंड चार्जर से ही चार्ज करें। अपने इलेक्ट्रिक व्हीकल को बहुत देर तक धूप में पार्क न करें। चार्जिंग के समय सावधान रहें, पहली बार चार्जिंग से पहले प्रॉसेस समझने के लिए एक्सपर्ट की मदद लें। इलेक्ट्रिक व्हीकल की ओवरचार्जिंग से बचें। चार्जिंग के लिए अच्छे सॉकेट और प्लग का इस्तेमाल करें।

भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल की मार्केट स्थिति ?

सरकार ने साल 2012 में नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान 2020 लान्च किया था। देश में 2020-21 में बिकी कुल गाड़ियों में इलेक्ट्रिक व्हीकल का हिस्सा 1.3 फीसदी था। 2021-22 में बिकी कुल गाड़ियों में इलेक्ट्रिक व्हीकल का हिस्सा बढ़कर 1.7 फीसदी हो गया। अब सरकार की 2030 तक आटो इंडस्ट्री में इलेक्ट्रिक व्हीकल का हिस्सा 30 फीसदी तक करने की योजना है।

Electric Scooters Fire Incidents

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