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केंद्र सरकार ने सिद्धू मूसेवाला के SYL गाने को किया बैन, यूट्यूब प्लेटफार्म से भी हटाया, जानें क्या है वजह?

Naresh Kumar • LAST UPDATED : June 26, 2022, 4:39 pm IST

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इंडिया न्यूज, Punjab News। Sidhu Moosewala SYL Song : पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला के एसवाईएल (SYL) गाने को केंद्र सरकार की ओर से बैन कर दिया गया है। यह गाना अभी दो दिन पहले ही रिलीज किया गया था। गाने को मूसेवाला के आफिशियल यूट्यूब चैनल से भी हटा दिया गया है। क्योंकि गाने में पंजाब और हरियाणा के बीच एसवाईएल नहर के पानी को लेकर और बंदी सिखों के मुद्दे पर लगातार विवाद हो रहा था।

इन दोनों कारणों के चलते केंद्र सरकार की ओर से इस गाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। वहीं केंद्र सरकार के कहने पर ही यूट्यूब ने गाने को अपने प्लेटफार्म से भी हटा दिया है।

2 दिन में 2.7 करोड़ लोग देख चुके थे एसवाईएल गाना

आपको बता दें कि सिद्धू मूसेवाला के एसवाईएल (SYL) गाने को 2 दिन में ही 2.7 करोड़ लोग देख चुके थे। यह गाना नंबर एक पर ट्रेडिंग में पहुंच चुका था।

गाने पर 3.3 करोड़ कमेंट भी आ चुके थे। सिद्धू की हत्या के 26 दिन बाद ट्रिब्यूट के तौर पर यह गाना रिलीज किया गया था। रिलीज होने के बाद से ही यह गाना यूट्यूब पर ट्रेंड कर रहा था।

एसवाईएल, कृषि कानून, किसान आंदोलन के मुद्दे पर है गाना

ऐसा कहा जा रहा है कि सिद्धू जाते जाते अपने इस गाने के माध्यम से पंजाब और हरियाणा के बीच चल रहे एसवाईएल के मुद्दे को दोबारा से हवा दे गए।

बता दें कि गाने में सिद्धू ने कृषि कानूनों को लेकर शुरू हुए किसान आंदोलन और लाल किले का भी जिक्र किया है। 4 मिनट 9 सेकेंड के इस गाने के बोल पंजाब के पानी और उससे जुड़े दूसरे मुद्दों के इर्द-गिर्द घूमते हैं।

गाने में आप पार्टी के हरियाणा प्रभारी का बयान भी दिखाया गया है

गाने में पंजाब-हरियाणा के बीच बहुचर्चित सतलुज-यमुना लिंक नहर को लेकर हुए विवाद का जिक्र किया गया है।

सिद्धू के इस गाने के बीच में आम आदमी पार्टी के हरियाणा प्रभारी सुशील गुप्ता का बयान भी दिखाया गया है। इस बयान में वे 2024 में पंजाब की तरह हरियाणा में भी अपनी पार्टी की सरकार बनने पर हरियाणा को एसवाईएल का पानी दिलाने की बात कह रहे हैं।

गाने में किसान आंदोलन और सिख बंदियों की सराहना भी की गई है

 

इसके अलावा इस गाने में सिद्धू ने 3 कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के दौरान दिल्ली कूच और लाल किले पर सिख समाज के प्रतीक निशान साहिब को लहराने की सराहना की है। सिख बंदियों की भी सरहाना की गई है। किसान आंदोलन को भी सही ठहराया गया है।

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