सिराजुद्दीन व उसके पिता ने भारतीय दूतावास पर भी कराया था हमला
इंडिया न्यूज, काबुल :
अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा सरकार बनाने के बाद जो लग रहा था वही हुआ। तालिबान हुकूमत ने जिस व्यक्ति को देश का गृह मंत्री चुना है उस पर 50 लाख डॉलर (भारतीय करेंसी के मुताबिक करीब 37 करोड़ रुपए) का इनाम घोषित है और वह मोस्ट वांटेड की सूची में शामिल है। तालिबान ने मंगलवार देश शाम नई सरकार का गठन का ऐलान किया था। ऐसा तो मालूम था कि उसकी सरकार में आतंकियों को ही जगह मिलेगी। खूंखार आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क के सरगना सिराजुद्दीन हक्कानी को गृह मंत्री बनाने का ऐलान किया गया है और इस आतंकी पर अमेरिका ने 50 लाख डॉलर का ईनाम घोषित कर रखा है। दरअसल, सिराजुद्दीन और उसके पिता ने 2008 में काबुल के भारतीय दूतावास पर भी हमला कराया था। हक्कानी पहले रक्षा मंत्री के पद के लिए अड़ा था। तालिबान की सरकार आतंकियों के नाम सामने आने के बाद अन्य देशों की चिंता और बढ़ रही है। सिराजुद्दीन द्वारा काबुल स्थित भारतीय दूतावास पर कराए गए हमले में 58 लोगों की जान चली गई थी। इसके बाद 2011 में अमेरिका के जॉइंट चीफ्स आॅफ स्टाफ रहे जनरल माइक मुलेन ने हक्कानी नेटवर्क को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसअई का दायां हाथ और एजेंट बताया था। सिराजुद्दीन हक्कानी का नाता पाकिस्तान के नॉर्थ वजीरिस्तान इलाके से है। इसके आतंकी संगठन अलकायदा से भी करीबी संबंध रहे हैं। हक्कानी ने पाकिस्तान में बैठे-बैठे ही अफगानिस्तान में कई आतंकी हमले कराए थे। इनमें अमेरिका और नाटो सेनाओं को निशाना बनाया गया था। इसके अलावा 2008 में हामिद करजई की हत्या की साजिश रचने के मामले में भी सिराजुद्दीन हक्कानी शामिल रहा है।