Japanese Encephalitis in Pune: जापानी इंसेफेलाइटिस का महाराष्ट्र के पुणे में पहला केस सामने आया है। जिसके बाद मच्छरों और जानवरों के सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं। गुरुवार, 1 दिसंबर को पुणे नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि जापानी बुखार के परीक्षण के लिए मच्छर, सूअरों और कुत्ते के सैंपल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी यानि की NIV में जांच के लिए भेजे गए हैं।
NIV में जांच के लिए भेजे गए सैंपल
आपको बता दें कि वडगांवशेरी में 4 वर्ष के बच्चे में इसकी पुष्टि होने के बाद यह कदम उठाया गया है। फिलहाल बच्चा ससून जनरल हॉस्पिटल में है। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से PMC में सहायक स्वास्थ्य प्रमुख डॉ. संजीव वावरे ने कहा है कि बच्चे के घर के लोगों के साथ-साथ पड़ोसियों के भी सैंपल जांच के लिए NIV में भेजे गए हैं। इसके अलावा आसपास के करीब 480 घरों में रैपिड फीवर सर्वे भी किया गया है।
जांच के लिए भेजे गए मच्छरों के सैंपल
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि एनआईवी को मच्छरों के सैंपल भी भेजे गए हैं। उन्होंने मच्छर नियंत्रण के उपाय बताते हुए कहा कि कीटनाशक का छिड़काव किया जा रहा है। साथ ही जमे हुए पानी को हटाना है। बता दें कि 3 नवंबर को बच्चे को अस्पताल में भर्ती किया गया था। जिसके बाद 29 नंवबर को बच्चे की रिपोर्ट पॉजिटव आई थी। फिलहाल बच्चे का इलाज जारी है।
जानेंं क्या है जापानी इंसेफेलाइटिस
जानकारी दे दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मताबिक, जापानी इंसेफेलाइटिस डेंगू, वेस्ट नाइल वायरस और पीले बुखार से संबंधित एक फ्लेविवायरस है। जो कि मच्छरों से फैलता है। इसके अधिकतर मामले हल्के होते हैं। ज्यादातर केस में सिरदर्द, हल्के बुखार या फिर स्पष्ट लक्षणों के बिना होते हैं। इसके गंभीर मामलों में गर्दन में अकड़न, तेज बुखार, दौरे, सिरदर्द, स्पास्टिक लकवा और कोमा देखने को मिलता है। JE का पहला केस साल 1871 में जापान में दर्ज किया गया था।
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