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विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2022 पर जानिए कैसे दुनिया को निगल रहा नशा

India News Desk • LAST UPDATED : May 30, 2022, 4:56 pm IST

इंडिया न्‍यूज। World No Tobacco Day 2022:

डॉ. प्रितम भि. गेडाम

जगत में सबसे बुद्धिमान प्राणी मनुष्य है। यही मनुष्य अनेक बार अपनी बुरी आदतों को क्षणिक सुख का नाम देकर खुद को ही बर्बाद कर लेता है। वही समाज में समस्याओं को निर्माण करने में प्रतिभागी बनता है। जीवन में वैसे ही अशुद्धता और विकारों का जाल फैला हुआ है। उसमें नशा तो जिंदगी को पूरी तरह नर्क बना देता है।

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सहजता से उपलब्ध होनेवाला जहर अर्थात नशा “तंबाकू” (World No Tobacco Day 2022) है, जो मनुष्य को धीरे-धीरे अपने चंगुल में फंसा कर दर्दनाक तरीके से खत्म करता है। आज हमारे समाज में तंबाकू का जहर इस तरह फैल चुका है कि छोटे-छोटे बच्चे भी इसके गिरफ्त में हैं।

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डब्ल्यूएचओ के अनुसार तंबाकू के जानलेवा तथ्‍य

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तंबाकू अपने आधे उपयोगकर्ताओं की जान ले लेता है। विश्व के 1.3 बिलियन तंबाकू उपयोगकर्ताओं में से 80% से अधिक निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं। तंबाकू से हर साल 8 मिलियन से ज्यादा लोगों की मौत होती है। उन मौतों में से 7 मिलियन के आसपास प्रत्यक्ष तंबाकू के उपयोग का परिणाम है, जबकि लगभग 1.2 मिलियन मौत धूम्रपान न करने वाले हैं जो धूम्रपान करने वालों के धुएं (सेकंड हैंड) के संपर्क में आने का परिणाम हैं।

क्‍या है सेकेंड हैंड स्मोक

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सेकेंड हैंड स्मोक वह धुंआ है जो बंद जगहों को भरता है जब लोग सिगरेट, बीड़ी जैसे तंबाकू उत्पादों को जलाते हैं। सेकेंड हैंड तंबाकू के धुएं के संपर्क में आने का कोई सुरक्षित स्तर नहीं है, यह समय से पहले मौत के साथ ही गंभीर हृदय और श्वसन रोगों का कारण बनता है। लगभग आधे बच्चे नियमित रूप से सार्वजनिक स्थानों पर तंबाकू के धुएं से प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं, और हर साल 65,000 बच्चे धुएं के कारण होने वाली बीमारियों से मर जाते हैं।

शिशुओं के लिए सबसे अधिक घातक

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शिशुओं में, अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम के जोखिम को बढ़ाता है। गर्भवती महिलाओं में, यह गर्भावस्था की जटिलताओं और जन्म के समय कम वजन का कारण बनता है। अमेरिकन लंग एसोसिएशन अनुसार 2021 में युवा ई-सिगरेट उपयोगकर्ताओं में, हाई स्कूल के छात्रों में फ्लेवर्ड ई-सिगरेट का उपयोग 85.8% और मिडिल स्कूल के छात्रों में 79.2% था।

मौत के करीब ले जाती है सिगरेट

धूम्रपान करने वालों की मृत्यु औसतन धूम्रपान न करने वालों की तुलना में 10 साल पहले होती है। हर दिन, 18 वर्ष से कम उम्र के लगभग 2,000 बच्चे अपने जीवन की पहली सिगरेट पीते हैं और 18 वर्ष से कम उम्र के 300 से अधिक बच्चे दैनिक सिगरेट पीने वाले बन जाते हैं।

धूम्रपान, यूएसए में हर साल 480,000 से अधिक समय से पहले होने वाली मौतों के लिए जिम्मेदार है, जिसमें सेकेंड हैंड धुएं से होने वाली 41,000 से अधिक मौतें शामिल हैं। हेल्थकेयर खर्च और अन्य आर्थिक नुकसान सालाना 300 अरब डॉलर से अधिक है।

तंबाकू के नशे में नई पीढ़ी

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देश में विभिन्न प्रकार के तंबाकू उत्पाद बहुत कम कीमतों पर सहज उपलब्ध हैं। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे इंडिया, 2016-17 के अनुसार, भारत में लगभग 267 मिलियन वयस्क (15 वर्ष और अधिक) सभी वयस्कों का 29% तंबाकू के उपयोगकर्ता हैं। भारत में तंबाकू के उपयोग का सबसे प्रचलित रूप धुआं रहित तंबाकू है और आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले उत्पाद खैनी, गुटखा, तंबाकू के साथ सुपारी और जर्दा हैं।

इस्तेमाल किए जाने वाले तंबाकू के धूम्रपान के रूप हैं बीड़ी, सिगरेट और हुक्का। 30.2% वयस्क इनडोर कार्यस्थलों में सेकेंड हैंड धुएं के संपर्क में आते हैं, 7.4% रेस्तरां में, 13.3% सार्वजनिक परिवहन और 21% युवा (13-15 वर्ष की आयु) संलग्न सार्वजनिक स्थानों में सेकेंड हैंड धुएं के संपर्क में हैं और 11% घर पर सेकेंड हैंड धुएं के संपर्क में हैं।

धूम्रपान और सेकेंड हैंड धुएं के संपर्क में आने से हर साल लगभग 1.2 मिलियन भारतीयों की मौत हो जाती है, जो कुल मौतों का 9.5% है। धुंआ रहित तंबाकू के वैश्विक बोझ का 70% हिस्सा भारत में है। धुंआ रहित तंबाकू के सेवन से हर साल 230,000 से अधिक भारतीयों की मौत होती है।

भारत में मुंह का कैंसर सबसे सामान्‍य रोग

No Smoking Day 2022 Message to Schools

भारत में लगभग 90% मुंह के कैंसर धूम्रपान रहित तंबाकू के सेवन के कारण होते हैं। भारत में 27% कैंसर तंबाकू के सेवन के कारण होते हैं। तंबाकू की समाज को भारी कीमत चुकानी पड़ती है। जब भी कोई आपको तंबाकू जन्य उत्पाद या अन्य कोई नशीला जहर साझा या ऑफर करता है तो समझ जाए की दर्दनाक मौत आपसे शेयर की जा रही है, जिसका अंत अत्यंत दुखद होता है।

जीवन अमूल्य है, दुनियाभर की दौलत लुटा कर भी हम एक पल की जिंदगी नहीं खरीद सकते, फिर क्यों हम खुद के ही जान के दुश्मन बने बैठे है। सुख हो तो नशा, दुःख हो तो नशा, नशा करने का बस बहाना चाहिए, अब तो कई लोगों के जीवन में नशा रोजमर्रा का हिस्सा बन गया है।

हमारे जीवन में सबसे ज्यादा हमारा ख्याल रखने वाले हम खुद है, अगर हमें खुद की ही सुध नहीं है तो हम जैसा गैरजिम्मेदार अन्य कोई नहीं, क्योंकि हम खुद ही अपनी चिता सजाने की तैयारी कर रहे है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि तंबाकू उत्पाद से जीतनी आमदनी होती है, उससे कई गुना ज्यादा तंबाकू द्वारा होने वाले गंभीर बीमारियों के इलाज पर खर्च होता है।

जिंदगी जीने का नजरिया बदलिए

जीवन की ओर देखने का नजरिया बदलें, नशे के जहर से अपनी और अपनों की जिंदगियां बर्बाद न करें। दृढ़ निश्चय, इच्छाशक्ति, सकारात्मक विचार, जिम्मेदारी का अहसास और खुशनुमा माहौल हमें नशे से मुक्ति दिलाने में मदद करता है। किसी भी तरह के नशे से मुक्ति पाने में सरकार, एनजीओ, व्यसनमुक्ती केंद्र और अन्य मदद समूह हमेशा सहयोगी के रूप में हमारे साथ है।

अभी से तंबाकू मुक्ति का प्रण लें, तंबाकू छोड़ने के लिए सहयोग या परामर्श हेतु नेशनल टोबैको क्विट लाइन सर्विसेज – 1800 112 356 (टोल फ्री) इस नंबर पर संपर्क कर सकते हैं या फिर 011-22901701 पर एक मिस्ड कॉल देकर रजिस्टर करें जो एक मुफ्त सेवा है, इसके अलावा www.nhp.gov.in/quit-tobacco वेबसाइट पर जाकर लॉगिन कर रजिस्टर कर सकते हैं, जीवन का मोल समझें, हमेशा नशा मुक्त रहें, तनावमुक्त जिएं।

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