पिछले दो महीनों से बारिश और बाढ़ ने आदिवासी इलाकों में तबाही मचा रखी है। नदी, नालों और बाढ़ में डूबे रास्तों ने मरीजों के जीवन को टापू में तब्दील गांवो ने रोक रखा है। छत्तीसगढ़ के दो जिले गंभीर हालातो से मौतों की चपेट में है। यहां मरने वालों में ज्यादा जनसंख्या आदिवासियों की है जो बुखार और शरीर मे सूजन की वजह से मौत के घाट उतर गए है।
इंद्रावती नदी पार मर्रामेटा,रेकावाया,पेंटा, गुडरा,पीडियाकोट और बड़े पल्ली क्षेत्र में महामारी जैसी स्तिथि बन गई है। दो महीने के अंदर बीजापुर जिले के मर्रामेटा पंचायत में 12 ग्रामीणों की पेंटा पंचायत में 3, पीडियाकोट पंचायत में 7, बड़े पल्ली पंचायत में 7 लोगो की शरीर की सूजन और तेज बुखार के कारण मौत हो गई है।इन क्षेत्रों में अब भी 50 से अधिक ग्रामीण इन्ही बीमारियों के चपेट में है।
ग्रामीण अब मान चुके है कि उनकी जिंदगी सरकार के नजरो में कीड़े – मकोड़े से ज्यादा और कुछ नही है। कोई भी जनप्रतिनिधि उन क्षेत्रों के बारे में सोचते ही नही है। आजादी के 75 वें अमृत महोत्सव में भी देश सिरहा गुनिया के अंधकार और अंधविश्वास से बाहर नही आ पाया है।
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