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कोरोना संबंधी नियमों में ढील देने के बाद अस्थमा अटैक का खतरा हुआ दोगुना, मौतों में भी इजाफा

Nishika Shrivastava • LAST UPDATED : November 27, 2022, 10:20 pm IST

Risk of Asthma Attack: अस्थमा ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर का वायुमार्ग यानी श्वास नली पतली हो जाती है और सात ही इसमें सूजन आ जाती है। इसके अलावा श्वास नलियों में म्यूकस होने का खतरा भी बढ़ जाता है। इन सबके परिणामस्वरूप अस्थमा में मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है और दम फूलने लगता है। बता दें कि ये बहुत ही असहनीय है। सर्दी में वैसे ही अस्थमा के लक्षण बढ़ जाते हैं क्योंकि बढ़ते पॉल्यूशन और डस्ट पार्टिकल के श्वास नली में जाने की आशंका बढ़ जाती है, जिसकी वजह से म्यूकस भी बढ़ने लगता है।

अब एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि जब से कोरोना संबंधित नियमों में ढील दी गई है। तब से अस्थमा अटैक के मामले दोगुने हो गए हैं। जी हां, कोरोना में जब मास्क सहित कई तरह से सतर्कता बरती जा रही थी, तब कोरोना के अलावा सांस से संबंधित बीमारियों का जोखिम भी कम हुआ था। इसका मतलब यह हुआ कि मास्क और अन्य एहतियात से अस्थमा अटैक की आशंका भी कम हो जाती है।

अस्थमा से होने वाली मौतों में भी इजाफा

एक रिपोर्ट के मुताबिक क्वींस मैरी यूनिवर्सिटी लंदन के शोधकर्ताओं ने कहा है कि कोविड संबंधी नियमों में ढील देने के बाद अस्थमा से पीड़ित वयस्कों में गंभीर अस्थमा अटैक का खतरा दोगुना हो गया है। शोधकर्ताओं ने लंदन का उदाहरण देते हुए बताया कि वयस्कों में अस्थमा के लक्षण बेहद गंभीर हो गए हैं जो चिंता का विषय है।

शोधकर्ताओं ने बताया कि इस गंभीर स्थिति के कारण अस्थमा से होने वाली मौतों में भी इजाफा हुआ है। ब्रिटेन में करीब 50 लाख लोग अस्थमा से पीड़ित हैं जबकि पूरी दुनिया में करीब 30 करोड़ लोगों को अस्थमा है।

ये है अस्थमा के लक्षण

अस्थमा की स्थिति में सांस फूलने लगती है। सीने में इतनी जकड़न होने लगती है कि बेहोशी तक महसूस होने लगती है। सांस लेने के साथ-साथ घरघराहट और खांसी भी होने लगती है। ये पहला अध्ययन है, जिसमें कोविड-19 के प्रभावों का अन्य श्वसन संबंधी बीमारियों से तुलना की गई है। इस लिहाज से इस तरह का यह पहला अध्ययन है जिसमें कोविड पाबंदियों को हटाने के प्रभावों का विश्लेषण किया गया है।

ऐसे में इस अध्ययन से यह साबित होता है कि कोविड संबंधी पाबंदियां अस्थमा के मरीजों के लिए फायदेमंद है। अगर अस्थमा के मरीज इन नियमों का स्वतः पालन करें तो उन्हें फायदा होगा। हाल ही में एक अध्ययन में ये बात भी सामने आई है कि अगर सही से देखभाल न किया जाए तो अस्थमा के कारण वयस्कों में हार्ट अटैक और स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है।

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