इंडिया न्यूज:
अक्सर महिलाएं फैशनेबल दिखने के लिए हाई हील पहनती हैं। लेकिन ऐसा करना सेहत पर भारी पड़ सकता है। इससे न केवल पैरों को नुकसान पहुंचता है बल्कि कमरदर्द जैसी समस्याएं भी बढ़ जाती हैं। (High Heel Sandals Harmful) एड़ियों, घुटनों और पीठ के जोड़ों की कार्यशैली में कुछ बदलाव भी हाई हील्स की वजह से देखे जा सकते हैं।
वहीं जब महिलाएं हाई हील वाले सैंडिल या शूज पहनकर चलती हैं तो शरीर का अधिकांश वजन एड़ी पर पड़ता है और पंजा तेजी से दबता है। अधिक समय तक ऊंची एड़ी के जूते या सैंडल पहनना हर हाल में नुकसानदायक है।
पैरों की पॉजिशन बदलने से जांघ की मांसपेशियां छोटी होती जाती हैं। टखनों के आसपास की मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है। सेंटर ऑफ गे्रेविटी आगे की ओर शिफ्ट होने से कमरदर्द होता है। पैरों में असंतुलन होने पर कई रोगों का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही नसें भी कमजोर होने लगती हैं। ज्यादा देर तक हाई हील पहनने से पैरों की अंगुलियों में अकड़ हो सकती है। इसलिए जहां तक संभव हो फ्लैट स्लिपर पहनें। अगर पहननी भी पड़े तो कम समय के लिए एक से दो इंच की हील ही पहनें।
हाई हील्स पैरों को पूरा सहारा नहीं देती हैं। इससे शरीर का वजन संतुलित नहीं हो पाता है जिससे पीठ के निचले हिस्से में दर्द और सूजन बढ़ सकती है। पिंडलियों की मांसपेशियों में दर्द नुकीली एड़ी वाली सैंडल पहनने से होता है। इससे नसें उभर सकती हैं, जो न केवल भयावह दिखती हैं बल्कि बेहद दर्दनाक भी होती हैं। ऊंची एड़ी के जूते पीठ के निचले हिस्से को सामान्य से ज्यादा बाहर निकाल देते हैं। एड़ी की ऊंचाई सीधे आपकी पीठ में घुमाव लाती है। इससे पीठ के ऊपरी और निचले हिस्से में दर्द भी हो सकता है।
कहते हैं कि हाई हील पैरों के अगले हिस्से पर कृत्रिम दबाव डालती हैं जिससे एड़ी कमजोर हो जाती है। इंसान के शरीर में उसके घुटने सबसे बड़े जोड़ होते हैं। किसी शारीरिक काम में यह झुक कर एक शॉक एब्जॉर्बर (झटका सहन करने वाले) स्प्रिंग की तरह काम करते हैं। हाई हील से घुटनो पर अंदर की तरफ दबाव पड़ता है। अगर ऐसा लगातार होता रहे तो घुटनो को होने वाला नुक्सान ठीक नहीं किया जा सकता।
हाई हील पेट को आगे खींचती हैं और कमर को पीछे। इससे रीढ़ की हड्डी पर भार का असंतुलन हो जाता है और कमर पर दबाव बढ़ने लगता है। इससे रीढ़ के जोड़ों को क्षति पहुंचती है। हाई हील का इस्तेमाल करके मिली अतिरिक्त लंबाई हड्डियों के ढांचे को नुकसान करती है। जिससे हड्डी उतरने (डिसलोकेट) होना, टूटना और मांसपेशीयों को घातक होता है।