डॉ रविंद्र मलिक, चंडीगढ़:
हरियाणा की 46 नगर निकायों (18 नगर परिषदों एवं 28 नगर पालिकाओं) के अध्यक्ष पद पर एवं उन सभी निकायों में पड़ने वाले कुल 888 वार्डों से को लेकर 19 जून को राज्य निर्वाचन आयोग के अधीक्षण और निर्देशन में मतदान हुआ और मतगणना बीते 22 जून को करवाई गयी। सत्तासीन भाजपा-जजपा के पार्टी सिम्बल पर लड़े उम्मीदवारों ने कुल 25 (22 भाजपा और 3 जजपा) नगर निकायों के अध्यक्ष पद पर जीत का परचम लहराया। जबकि 19 निकायों में प्रधान पद पर निर्दलीय प्रत्याशी और एक-एक निकाय में इनेलो और आप पार्टी के उम्मीदवार ने जीत हासिल की। इसके बाद निर्वाचन आयोग द्वारा 46 नगर निकायों के अंतर्गत पड़ने वाले 888 वार्डों के चुनावी परिणामों का विषय है तो उनमें से 887 वार्डों के नतीजे बीते कल निर्वाचन आयोग द्वारा घोषित कर दिए गए। वहीं सभी पार्टियां कोशिश कर रही हैं कि चुनाव जीतकर आए उम्मीदवार उनके पाले में आए। इसको लेकर निरंतर चर्चा है कि कौन किसके पाले में जाएगा।
चुनाव जीतकर आए 92 फीसद उम्मीदवार कहीं भी जाने के लिए स्वतंत्र
इसको लेकर पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में अधिवक्ता हेमंत कुमार ने बताया कि 815 वार्डों में निर्दलयी उम्मीदवार जीते हैं जबकि भाजपा, जिसने केवल 136 वार्डों में ही पार्टी सिंबल पर प्रत्याशी उतारे थे, वह केवल 60 में ही जीत पाई जबकि प्रदेश सरकार में उसकी सहयोगी जजपा ने एक भी वार्ड में उसके चुनाव चिन्ह पर चुनाव नहीं लड़ा। आम आदमी पार्टी (आप) 133 वार्डों में से केवल 5 जबकि इनेलो 23 वार्डों में से केवल 6 , वहीं बसपा 3 वार्डों में से एक वार्ड में जीत पाई। सफीदों नगर पालिका के वार्ड 8 से भी निर्दलयी ही जीतेगा क्योंकि उस वार्ड में पिंकी रानी और मधु रानी दोनों निर्दलयी उम्मीदवार हैं। इस प्रकार अंतत: प्रदेश में कुल 816 निर्दलीय प्रत्याशी जीतेंगे।
म्युनिसिपल कानून में 2019 में संसोधन हुआ
वर्ष 2019 में प्रदेश विधानसभा द्वारा हरियाणा म्युनिसिपल कानून, 1973, जो प्रदेश की सभी नगर पालिकाओं और नगर परिषदों पर लागू होता है, में संशोधन कर डाली गयी नई धारा 18 ए के अनुसार सभी नगर निकायों के आम चुनावो में नव-निर्वाचित अध्यक्ष एवं वार्डों से चुने गए सदस्यों की राज्य चुनाव आयोग द्वारा जारी निर्वाचन नोटिफिकेशन के अधिकतम छः माह के भीतर उन सभी नगर निकायों में उपाध्यक्ष (वाईस -प्रेजिडेंट ) का चुनाव होना कानूनन आवश्यक है. अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो निर्वाचन नोटिफिकेशन की छः माह की अवधि समाप्त होने पर सम्बंधित नगर निकाय अर्थात नगर परिषद या नगर पालिका को तत्काल प्रभाव से विघटित (भंग) समझा जाएगा जिसका अर्थ है कि उस नगर पालिका या नगर परिषद के चुनाव नए सिरे से करवाने पड़ेंगे।
888 वार्ड से निर्वाचित मनचाही पार्टी ज्वाइन कर सकते हैं
सभी 46 नगर निकायों के 888 वार्डों से निर्वाचित होने वाले सदस्य (पार्षद) चाहे किसी राजनीतिक पार्टी से हों अथवा निर्दलीय हों, वह बिना किसी कानूनी अवरोध के उनकी मनमर्जी के किसी भी अन्य पार्टी/दल में पाला बदलने हेतु पूर्णतया स्वंतंत्र है एवं अगर वह ऐसे दल-बदल करते हैं, तो इससे उनकी नगर निकाय सदस्यता पर कोई असर नहीं पड़ता। हालांकि दिसंबर, 2020 में प्रदेश में तीन नगर निगमों- अम्बाला, पंचकूला और सोनीपत, रेवाड़ी नगर परिषद और सांपला, उकलाना और धारूहेड़ा नगर पालिकाओं के आम चुनावों से पहले प्रदेश की सभी नगर निकायों के चुनावों में नव-निर्वाचित अध्यक्ष/वार्ड सदस्यों की निर्वाचन नोटिफिकेशन, जो राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा नतीजे घोषित होने बाद जारी की जाती थी, में विजयी उम्मीदवारों की पार्टी सम्बद्धता का उल्लेख नहीं किया जाता था। बेशक उन्होंने किसी राजनीतिक पार्टी/दल के आधिकारिक प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़कर उसमें विजयी रहे हों, हालांकि मौजूदा तौर पर ऐसा किया जा रहा है। हालांकि यहाँ ध्यान देने योग्य है कि न तो हरियाणा के दोनों नगर निकाय कानूनों में और न ही उनके अंतर्गत बनाए गए निर्वाचन नियमों में राजनीतिक दल /पार्टी का उल्लेख तक नहीं है।
जीते हुए उम्मीदवार ज्यादातर सत्ताधारी पक्ष को ज्वाइन करते हैं
ज्यादातर यही होता है कि जिस भी पार्टी विशेष या गठबंधन की प्रदेश में सरकार होती है, राज्य की नगर निकायों के नव-निर्वाचित अध्यक्ष और सदस्य ( पार्षद), जो प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी या गठबंधन के नहीं होते, वो वहीं का रूख करते हैं। ऐसा करने से ही उन्हें उनके निकाय क्षेत्र के विकास कार्यों और नए प्रोजेक्ट्स/योजनाएं आदि आरम्भ करने हेतु नियमित तौर पर सरकारी ग्रांट( धनराशि) और प्रदेश सरकार से विभिन्न संसाधन और अन्य प्रकार की स्वीकृति/सहायता प्राप्त करने में आसानी रहती है। सरकार चाहे कोई भी रही हो, इस बात से हर कोई इत्तेफाक रखता है कि विपक्षी पाले के उम्मीदवारों को योजनाओं के लिए पैसे की कमी से जूझना पड़ता है।