इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रहें एक अहम फैसले के दौरन बेटियां पर कोर्ट ने एक बड़ी बात कही है. शादीशुदा होने के बाद भी बेटियां अपने मायके का हिस्सा है। बता दें कि कोर्ट में मृतक आश्रित कोटे से नौकरी के एक मामले पर सुनवाई चल रही थी, उस दौरान कोर्ट ने कहा कि पिता की मौत के बाद एक शादीशुदा बेटी भी उनकी नौकरी पाने की हकदार होती है।
मेरठ में रहने वाली अरुणा जो अपने पिता की मौत के बाद अपने घर की पूरी जिम्मेदारी संभालती थी.अरुणा के पिता की मौत 4 जुलाई, 2018 को हुई थी। अरुणा ने अपने पूरे परिवार की तरफ से मेरठ के सरकारी अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारियों को नौकरी की एप्लीकेशन दी थी। जिसमें लिखा था कि पिता के बाद घर की सारी जिम्मेदारी मुझ पर आ गई है। जिस वजह से ये नौकरी मुझे दे दी जाए। जिसे अधिकारियों ने साफ इंकार कर दिया था और अरुणा को नौकरी नहीं दी गई।
हाईकोर्ट ने मेरठ के जे ब्लॉक कॉलोनी में रहने वाली अरुणा की याचिका पर एक फैसला दिया। बता दें कि अरुणा ने चीफ मेडिकल ऑफिसर के 11 दिसंबर 2018 के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इसमें सीएमओ ने मृतक आश्रित कोटे में पिता की जगह अरुणा को नौकरी देने से मना कर दिया गया था।
जिसके बाद कोर्ट ने मेरठ के सीएमओ के फैसलों को नकार दिया. मेरठ के सीएमओ ने कहा था कि बेटी को शादी के बाद मायके के परिवार में नहीं गिना जाना चाहिए। लेकिन हाईकोर्ट ने सीएमओ के आदेश को पलटते हुए कहा कि अब सोच बदलने का समय है। शादीशुदा बेटी भी अपने मायके का हिस्सा होती है। इस आधार पर मृतक आश्रित कोटे के तहत पिता की जगह पर शादीशुदा बेटी को भी नौकरी दी जा सकती है।
जज विक्रम डी चौहान ने अपने फैसले में कहा कि नौकरी से मना कर सरकारी अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारियों ने संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन किया है। कोर्ट ने सीएमओ के आदेश को खत्म करते हुए अरुणा को उसके पिता श्यामलाल की जगह नौकरी देने का आदेश दिया है।
मृतक आश्रित कोटे में किसी कर्मचारी की मौत के 5 साल के अंदर उनके किसी भी परिवार के सदस्य को नौकरी दी जा सकती है। यूपी सरकार ने इसे लेकर कई आदेश जारी किए है। जिसमें बताया गया है कि पिता के मरने के बाद बेटा या बेटी को 5 साल के अंदर नौकरी मिल सकती है।