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Chhath Puja: अगर आप बिहार से नहीं हो तो इस विधि से मना सकते है छठ का त्योहार, विशेष आशीर्वाद की होगी प्राप्ति

Nishika Shrivastava • LAST UPDATED : October 29, 2022, 4:38 pm IST

Chhath Puja 2022 Festival Worship Method: भारत के हर राज्य में कईं त्योहार मनाए जाते हैं और हर एक पर्व का अपना महत्व है। ऐसा ही एक त्योहार छठ मनाया जाता है। छठ को लेकर आम धारणा है कि ये पर्व बिहार में रहने वाले लोगों का है। हालांकि, ऐसा नहीं है, ये त्योहार बिहार के अलावा झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल में भी मनाया जाता है। हालांकि, जो लोग बिहार से नहीं है, वो लोग भी इस त्योहार को मना सकते हैं। ये पर्व बेहद ही सादगी के साथ मनाया जाता है। कोई भी शख्स अगर छठ पर भगवान सूर्य और छठी मैया की अराधना करता है तो उसे विशेष आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।

भगवान सूर्य की बहन हैं छठी मैया

आपको बता दें कि इस त्योहार पर छठी मैया की पूजा की जाती है, जिन्हें भगवान सूर्य की बहन माना जाता है। वैसे तो ये त्योहार षष्ठी को मनाया जाता है, लेकिन इसकी शुरुआत चतुर्थी को नहाए-खाय से होती है। इसके अगले दिन खरना मनाया जाता है और षष्ठी की शाम और सप्तमी की सुबह को सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है, जिसके साथ ही इस चार दिवासीय पर्व की समाप्ति हो जाती है।

मनोकामना होती है पूर्ण

छठ पर भगवान सूर्य देव की उपासना की जाती है, जिससे सेहत अच्छी रहती है और घर में सुख-समृद्धि बने रहती है। ये व्रत खास तौर पर संतान प्राप्ति या फिर मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है। इसके साथ ये भी मान्यता है कि महापर्व पर व्रत करने से छठी मइया संतान प्रदान करती हैं।

आस्था का है पर्व

वहीं छठ में मूर्ति पूजा नहीं की जाती और न ही किसी पंडित या कर्मकांड की जरूरत होती है। ये त्योहार भक्त और छठी मइया को आस्था के जरिए सीधे जोड़ने वाला त्योहार है। इस पर्व को कोई भी व्यक्ति श्रद्धा के साथ मना सकता है।

छठ पूजा की पूर्ण विधि

  • छठ का पहला दिन ‘नहाय खाय’ के रूप में मनाया जाता है, जिसमें घर की साफ-सफाई, स्नान और शाकाहारी भोजन से व्रत की शुरुआत की जाती है।
  • दूसरे दिन व्रती दिनभर उपवास रखने के बाद शाम को भोजन करते हैं, जिसे खरना कहा जाता है।
  • तीसरे दिन छठ का प्रसाद बनाया जाता है। शाम को बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है और तालाब या नदी किनारे सामूहिक रूप से सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
  • चौथे दिन उगते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है। हालांकि, ये अर्घ्य भी वहीं दिया जाता है, जहां पहली शाम को दिया था।

 

ये भी पढ़े: छठ पूजा में इस वजह से बनता है ‘ठेकुआ’, बनाने के लिए अपनाएं ये टिप्स (indianews.in)

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