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देवशयनी एकादशी का महत्व

Sunita • LAST UPDATED : September 8, 2021, 6:32 am IST

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली

Hindi months के सभी महीने अपने आप में खास होते हैं पर धार्मिक दृष्टि से आषाढ़ मास की विशेषता बढ़ जाती है। आषाढ़ मास में भगवान विष्णु की पूजा को विशेष पुण्य बताया गया है एकादशी का व्रत Lord Vishnu को समर्पित है इसीलिए आषाढ़ मास की एकादशी तिथि को विशेष महत्व दिया जाता है। आषाढ़ मास की आखिरी यानि शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी कहा जाता है।

Kashi में देवशयनी एकादशी का महत्व

धर्म की नगरी Varanasi में हरि सहनी एकादशी का महत्व और बढ़ जाता है क्योंकि यहां पर अस्सी क्षेत्र में स्थित mata lakshmi की शयन मुद्रा में प्रतिमा स्थापित है। Mandir के पुजारी का कहना है, कि पूरे North India में इकलौता Kashi में ऐसा पवित्र स्थल देखने को मिलता है जहां भगवान की शयन मुद्रा में image विराजमान है पुजारी का कहना है कि इस लेटी हुई प्रतिमा के दर्शन मात्र से ही भक्तों के सारी मनोकामना पूर्ण होते हैं साथ ही भक्तों पर mata lakshmi की असीम अनुकंपा होती है। हरीशयनी एकादशी पर भगवान के 4 month सो जाने के बाद सारे holy work स्थगित हो जाएंगे जैसे शादी विवाह जैसे कार्य जनेऊ संस्कार मुंडन आदि।

देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक यानी की चातुर्मास की शुरूआत हो जाती है जो देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी तक होता है जिसे हम चतुर्मास की शुरूआत हो ना कहते हैं। इस दिन Lord Vishnu का शयनकाल आरंभ होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस तिथि से ही Lord Vishnu पाताला लोक में विश्राम के लिए प्रस्थान करते हैं। Lord Vishnu का शयनकाल देवउठनी एकादशी को समाप्त होता है।

 

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