नई दिल्ली:– देश में अवैध धर्मांतरण तेज़ी से बढ रहे हैं, कई बार लोगों की मदद के नाम पर उनका धर्मांतरण करा दिया जा रहा है. ऐसे बढ़ते मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने रुपये, भोजन या दवाई का लालच देकर धर्म परिवर्तन करवाने वालों को गलत बताया है और कहा, जो गरीब और ज़रूरतमंद की मदद करना चाहता है, वो ज़रूर करे. ऐसा करना बहुत अच्छा है. लेकिन इसका मकसद धर्म परिवर्तन करवाना नहीं हो सकता.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एम आर शाह की अध्यक्षता वाली 2 जजों की बेंच दबाव, धोखे या लालच से धर्म परिवर्तन के खिलाफ कड़ा कानून बनाने की मांग पर सुनवाई कर रही है. इससे पहली हुई सुनवाई में कोर्ट ने इस तरह से धर्म परिवर्तन को खतरनाक बताया था. बेंच की तरफ से ये बात कही गई थी कि ये देश की सुरक्षा के लिए खतरा है. केंद्र ने भी इससे सहमति जताते हुए कहा था कि 9 राज्यों ने इसके खिलाफ कानून बनाया है. अवैध धर्मांतरण के इस मुद्दे पर केंद्र भी ज़रूरी कदम उठाएगा.
धर्मांतरण के मुद्दे पर सॉलिसिटर जनरल ने ये बात कही कि, “धर्म परिवर्तन के मामलों को देखने के लिए एक कमेटी बनानी चाहिए, जो ये तय करे कि वाकई हृदय परिवर्तन हुआ है या लालच और दबाव में धर्म बदलने की कोशिश की है रही है.” कोर्ट ने केंद्र सरकार से बाकी राज्यों के बारे में भी जानकारी जुटा कर हलफनामा देने के लिए कहा था. इस मामले पर आज सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कुछ और समय की मांग की. जिसके बाद इस पर कोर्ट ने सोमवार 12 दिसंबर को सुनवाई की बात कही है.