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श्रद्धा हत्याकांड विशेष रिपोर्ट : 'ये इश्क नहीं आसां, एक आग का दरिया है', मोहब्बत करें लेकिन आंख खोलकर!

Garima Srivastav • LAST UPDATED : November 24, 2022, 5:30 pm IST

इंडिया न्यूज़:– श्रद्धा हत्याकांड में पुलिस अलग अलग साक्ष्य जुटाने में लगी है. इस घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है.हमनें भी कुछ युवाओं से इस मुद्दे पर बात की जिसमे लोगों के अलग अलग मत निकालकर सामने आये.कोई सोशल मीडिया को दोष दे रहे है कोई इसे लव जिहाद के एंगल से देख रहा है.समाज में जिस तरह की चर्चा हो रही है, उसमें एक चर्चा दोनों के आपसी रिश्ते पर हो रही है. कई लोग ये बात कह रहे हैं कि श्रद्धा उस रिश्ते में खुश नहीं थी, उस पर शक़ किया जा रहा था, पाटर्नर शारीरिक उत्पीड़न कर रहा था, तो भी वह उस रिश्ते से बाहर क्यों नहीं निकली, उसे इसका एहसास कैसे नहीं हुआ? लिव इन रिलेशनशिप को लोग गलत ठहराने में लगे हुए हैं। एक तरफ जहाँ सरकार एक प्रेमी जोड़े को साथ रहने का अधिकार देती है वहीं समाज इस प्रेम को लिव इन के नाम पर नकार रहा है.

ऐसा भी कहा जा रहा है कि श्रद्धा उससे बेपनाह मोहब्बत करती थी. वो उसके बगैर नहीं रह सकती थी उसे ये ड़र भी था कि उसने अपना घर छोड़ दिया है अब वो वापस जायेगी तो समाज उसे स्वीकार नहीं करेगा. श्रद्धा कितनी जद्दोजहद से जूझ थी थी हम और आप कोई नहीं जानता. पुलिस ने भी बताया है कि दोनों का रिश्ता कई बार टूटने की कगार पर पहुंच चुका था. श्रद्धा ने अपने दोस्तों से भी कहा था कि ‘मैं आफ़ताब के साथ सुरक्षित महसूस नहीं करती’, लेकिन श्रद्धा ने कोई क़दम क्यों नहीं उठाया. यह सवाल बहुत से लोगों के मन में है. कहते हैं कि आदमी पर जब इश्क़ का फितूर हो तो वह एक-दूसरे के लिए कुछ भी सहने या करने को तैयार होता है. चाहें कितनी मुश्किलें आये प्यार की ताकत सबसे ऊपर ही रहती है. शायद श्रद्धा के साथ भी ऐसा ही होगा।

‘ये इश्क नहीं आसां, एक आग का दरिया है और डूब के जाना है.

ये भी कहा जाता है कि ‘ये इश्क नहीं आसां, एक आग का दरिया है और डूब के जाना है. इसे कई लोग अतिश्योक्ति चाहे मानें लेकिन कई बार ये सच भी होता है. जब आप किसी से प्यार करते हैं तो उस रिश्ते में थोड़ी परेशानियां होना तो लाजिमी है, लेकिन ऐसी भी स्थिति होती है कि व्यक्ति ही समस्या का रूप ले लेता है. ऐसे में आपको इसका ध्यान रखना होता है कि कहीं रिश्ते में हम घुट तो नहीं रहे हैं और अगर घुटन हो रही है तो हम इसे किस हद तक सह रहे हैं. Toxic Relationship एक टर्म है.ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी टॉक्सिक रिलेशनशिप को दर्दनाक और खतरनाक रिश्ता बताती है. ऐसे रिश्ते में एक इंसान दूसरे इंसान को अपने काबू में करना चाहता है और उस रिश्ते में दूसरे व्यक्ति को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने की कोशिश करता है.

किसी भी अच्छे रिश्ते में सम्मान और भरोसा सबसे ज़रूरी

इंग्लैंड की वीमेंस कोऑपरेशन कमिटी की सह-प्रमुख एडिना क्लेयर का कहना है कि किसी भी अच्छे रिश्ते में सम्मान और भरोसा ये सबसे ज़रूरी है. अगर किसी भी रिश्ते में सम्मान नहीं होता और भरोसा नहीं रहता तो वो रिश्ता ज़्यादा दिन टिक नहीं पाता है. कई बार रिश्तों में ग़लतफहमियां हो जाती हैं और कुछ तनाव का आ जाना भी लाजिमी है,लेकिन इसे एडल्ट के तौर पर सुलझाने में सक्षम होना भी चाहिए नहीं तो यही रिश्ते में और दरार पैदा कर सकता है.

अकेलेपन के डर से ऐसे टॉक्सिक रिलेशनशिप में रहना पसंद करते हैं लोग

जब प्यार बहुत रहता है लेकिन फिर भी एक इंसान इससे जूझ रहा होता है और वो उस व्यक्ति से प्यार भी करता है तो ऐसे में अक्सर इस तरह के रिश्ते से बाहर निकलना लोगों के लिए मुश्किल होता है.टॉक्सिक रिलेशनशिप जुए के खेल जैसा हो जाता है जहां अगर आप चाहे दस बार हार गए लेकिन अगर एक बार जीत मिल गई तो उससे उम्मीद बन जाती है कि आगे भी जीत मिलेगी. इस लिहाज से देखें तो कुछ लोगों को उम्मीद रहती है कि उनका पार्टनर बदल जाएगा। पर अगर जमीनी तौर पर देखें तो बहुत काम मामलों में ऐसा होता है. बहुत से लोग अकेलेपन के डर से ऐसे रिश्तों में रहना पसंद करते हैं. वे ऐसा सोचते हैं कि समाज में लोग क्या कहेंगे पता नहीं समाज उन्हें स्वीकारेगा या नहीं, ऐसे में वो टूटने और अकेले रहने के बदले बुरे रिश्ते में रहना चुन लेते हैं. हमें ज़रुरत है हम समझें और अच्छी तरीके से सब कुछ परखें..किसी से प्यार करना गलत नहीं है, आँख बंद करके प्यार करना और भरोसा करना बहुत गलत है, समझदार बने, समझदारी से फैसले लें. आये दिन इस तरह के अपराध सामने आ रहे हैं, कोशिश यही करें कि आप किसी का मोहरा ना बने

 

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