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सरकार के लेखा-जोखा को समझें ; जानें कहां से धन कमाती है,कहाँ खर्च करती है

Ashish kumar Rai • LAST UPDATED : January 14, 2023, 5:06 pm IST
इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : 1 फरवरी 2023 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी। इसमें सरकार आगामी वित्त वर्ष के लिए अपना वित्तीय लेखा-जोखा सामने रखेगी। इसमें सरकार कई बड़े ऐलान भी कर सकती है। बजट से पहले इससे जुड़ी कुछ बातों को समझ लेना जरूरी है। एक सवाल जो ज्यादातर लोगों के दिमाग में होता है, वह यह है कि सरकार अपना हिसाब-किताब कैसे करती है। सरकार को कहां से कमाई होती है और वह किन-किन चीजों पर पैसे खर्च करती है। तो सरकार की कमाई और लेखा -जोखा को आपके समक्ष प्रस्तुत करते हैं।

सरकार यहाँ से करती है कमाई

1- आपको बता दें, केंद्र सरकार का कर्ज और लायबिलिटी सबसे बड़ा स्रोत है, जहां से अर्थव्यवस्था में पैसा आता है। मालूम हो, सरकार को कर्ज के जरिए 35 फीसदी पैसा मिलता है।
2- इसके अलावा जीएसटी कलेक्शन भी सरकार की कमाई का बड़ा हिस्सा है। मौजूदा साल के लिए केंद्र सरकार का 16 फीसदी रेवेन्यू जीएसटी कलेक्शन के जरिए मिला था। साल 2017 में वस्तु एवं सेवा कर या जीएसटी लागू हुआ था। इसने केंद्र और राज्य की सरकारों द्वारा लगाए गए कई टैक्स की जगह ली थी। उसके बाद से यह सरकार के इनडायरेक्ट टैक्स कलेक्शन का एक बड़ा हिस्सा बन गया है। मालूम हो, 2021-22 में इनडायरेक्ट टैक्स कलेक्शन का 57 फीसदी से ज्यादा हिस्सा जीएसटी से मिला था।
3- वहीँ, इनकम टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स कलेक्शन सरकार की कमाई का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत रहे हैं। पिछले साल पेश किए गए बजट के दस्तावेजों से पता चलता है कि इसने सरकार की कमाई में 15 फीसदी योगदान दिया था।
4- केंद्रीय एक्साइज ड्यूटी, नॉन-टैक्स रेवेन्यू और कस्टम भी सरकार के रेवेन्यू के दूसरे स्रोत हैं।

सरकार इन जगहों पर करती है खर्चा

1- मालूम हो, सरकार के खर्च का बड़ा हिस्सा ब्याज के भुगतान में जाता है। इसके बाद राज्यों के टैक्स और ड्यूटी का हिस्सा है।
2- केंद्र सरकार अर्थव्यवस्था के अलग-अलग क्षेत्रों के लिए स्कीम्स का ऐलान करती है। इस पर वह अपने पैसे का 15 फीसदी हिस्सा खर्च कर देती है। वहीं, 10 फीसदी फाइनेंस कमीशन और अन्य ट्रांसफर के तौर पर चला जाता है।
3- वहीं, पिछले साल के बजट के अनुसार डिफेंस, सब्सिडी, केंद्र द्वारा स्पॉन्सर की गई स्कीम्स और दूसरे खर्च करीब 8 से 9 फीसदी हैं।
4- पिछले साल पेश किए गए बजट के दस्तावेजों से पता चलता है कि सबसे कम पैसा सरकार पेंशन बांटने पर खर्च करती है।
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