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सरकार ने की विंडफाल टैक्स में कटौती, रिलांयस और ओएनजीसी के शेयर बने राकेट

Bharat Mehndiratta • LAST UPDATED : July 20, 2022, 11:42 am IST

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली (Windfall Tax): आज सुबह इंधन एक्सपोर्टर और फ्यूल एक्सपोर्टल कंपनियों के लिए बड़ी राहत की खबर आई है। सरकार ने गैसोलीन एक्सपोर्ट पर लगाई गए नेवी को खत्म कर दिया है और दूसरे इंधनों पर लगाए गए विंडफाल टैक्स में भी कटौती की है। इसका सबसे बड़ा फायदा मार्केट कैपिटल के लिहाज से सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज और क्रूड एक्सप्लोर करने वाली देश की टॉप कंपनी ओएनजीसी को होगा।

इस खबर के बाद से आज सुबह ही रिलांयस और ओएनजीसी के शेयरों में भारी उछाल आया है। रिलांयस का शेयर 4 फीसदी से भी ज्यादा तेजी के साथ 2540 पर खुला जबकि बीते दिन यह 2437 पर बंद हुआ था। वहीं ओएनजीसी के शेयर में भी आज 5 फीसदी से ज्यादा की तेजी आई और यह 135 रुपए पर खुला जबकि बीते दिन यह 129.90 पर बंद हुआ था।

गौरतलब है कि कि पहले से ऐसी खबरें आ रही थी कि सरकार विंडफाल टैक्स में कटौती कर सकती है, क्योंकि इससे फ्यूल एक्सपोर्टर और क्रूड एक्सप्लोर करने वाली कंपनियों को भारी घाटा हो रहा है। वहीं अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी क्रूड की कीमतें घटने से इन कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।

गैसोलीन निर्यात पर 6 रुपए लीटर की लेवी खत्म

सरकारी अधिसूचना के मुताबिक केंद्र ने डीजल और एविएशन फ्यूल शिपमेंट पर लागू विंडफाल टैक्स में 2 रुपये प्रति लीटर की कमी की है। वहीं गैसोलीन निर्यात पर 6 रुपए प्रति लीटर की लेवी को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है। इसके साथ ही घरेलू स्तर पर उत्पादन होने वाले क्रूड पर लागू टैक्स में करीब 27 फीसदी कटौती कर इसे 17000 रुपये प्रति टन कर दिया गया है।

1 जुलाई को सरकार ने बढ़ाई थी एक्साइज डयूटी

सरकार ने लगभग 3 हफ्ते पहले 1 जुलाई को ही इन टैक्सेज को लगाया था। केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल और एटीएफ के एक्सपोर्ट पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई थी। जानकारी के मुताबिक सरकार ने पेट्रोल के एक्सपोर्ट पर 5 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 12 रुपये प्रति लीटर तक टैक्स लगाया था। वहीं एटीएफ के एक्सपोर्ट पर 6 रुपए प्रति लीटर सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी बढ़ी थी।

दरअसल, सरकार चाहती थी कि घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल और एटीएफ जैसे फ्यूल की उपलब्धता बढ़े लेकिन अंतर्राष्ट्रीय बाजार में फ्यूल की कीमतों में गिरावट आई है जिससे क्रूड उत्पादकों और रिफाइनरी कंपनियां दोनों को नुकसान हो रहा था।

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